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Memories 2020 : कोरोना काल के बीच इन महिलाओं के योगदानों को रखा जाएगा याद, जानें क्यों

एक लाख महिलाओं ने संभाला दीदी किचन, जरूरतमंदों को खिलाया खाना

रांची : 2020 को हर व्यक्ति भूलना चाहेगा. त्रासदी और परेशानियों की कहानियों को समेटे इस साल ने मानवता का भी पाठ पढ़ाया. कोरोना संकट के बीच सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संगठन जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आये. महीनों गरीबों को मुफ्त में भोजन कराया. दवाइयां पहुंचायीं. इस कार्य में हजारों महिलाओं की आजीविका का साधन बना सखी मंडल का भी सहयोग रहा. मंडल से जुड़ी एक लाख से ज्यादा महिलाओं ने लॉकडाउन के दौर में मोर्चा संभाले रखा.

कोरोना महामारी में चुनौतियों से निबटने में सखी मंडल की महिलाअों ने अहम योगदान दिया. उन्होंने झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत समर्पण और सक्रियता का अनोखा परिचय दिया है. लॉकडाउन व कोरोना संकट में गरीब, जरूरतमंद और लाचार के लिए बड़ा सहारा बनकर सामने आयी हैं. खास कर दूसरे राज्यों से आये लोगों को दीदी किचन योजना के तहत पंचायतों में भोजन कराती रहीं. एक लाख सखी मंडल की महिलाएं अलग-अलग कार्यों में लगी रहीं.

सोशल डिस्टैंसिंग और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया : सखी मंडल की महिलाओं ने कोरोना महामारी से बचाव को लेकर लगातार सोशल डिस्टैंसिंग का पाठ पढ़ाया. खुद भी मास्क बनाने में लगी रहीं. वहीं ग्रामीणों को मास्क लगाने के लिए प्रेरित किया. महिलाएं सैनिटाइजर के उत्पादन में भी लगी रहीं. हर हाथ को काम दिलाने में अहम भूमिका निभाती रहीं.

ग्रामीणों को दीदी बाड़ी योजना से जोड़ने में लगी रहीं. अब ये महिलाएं लोगों को उनके ही घर से सटी जमीन पर सब्जी उत्पादन के लिए प्रेरित कर रही हैं. इससे ग्रामीणों को रोजगार भी मिल रहा है. आपदा की घड़ी में ग्रामीण परिवारों को बड़ा सहारा सखी मंडल के माध्यम से दिया गया.

हर हाथ को काम देने में बनीं सहायक :

किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिले, इसकी व्यवस्था भी आजीविका मिशन की ओर से की गयी. इन महिलाअों ने कोरेंटिन सेंटर में खान-पान, ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य जांच और सुदूर गांवों में जागरूकता कार्यक्रम का अायोजन किया. इसमें सखी मंडल के राज्य स्तर पर फैला नेटवर्क सहायक बना. Â बाकी पेज 13 पर

सखी मंडल एवं उत्पादक समूह के माध्यम से आजीविका प्रोत्साहन एवं सामाजिक बदलाव के भी काम किये गये. खेती, पशुपालन,वनोपज, सिंचाई के साधन, उद्यमिता सहित स्वरोजगार एवं स्थानीय संसाधनों के मुताबिक हर हाथ को काम देने के कार्य को मुहिम के रूप में चलाया, जिसका असर अब गांव में दिखने लगा है.

दीदी किचन में परोसी गयी चार करोड़ थाली

लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में लोग परदेस से लौट कर आये थे. उनके साथ ही यहां रह कर रोजी-रोटी के लिए हर दिन काम करनेवाले के सामने भी खाने के लाले थे. ऐसे में सखी मंडल की महिलाओं ने राज्य की सभी पंचायतों में मुख्यमंत्री दीदी किचन का संचालन किया. कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, इस संकल्प के साथ काम किया. राज्य में करीब 6595 मुख्यमंत्री दीदी किचन का संचालन किया जाता रहा. वहीं करीब चार करोड़ से ज्यादा थालियां परोसी गयीं. इसकी शुरुआत राज्य भर में तीन अप्रैल 2020 से ही कर दी गयी थी.

घर-घर तक पहुंचीं बैंकिंग सेवाएं

सखी मंडल की ओर से लॉकडाउन के दौरान सुदूर ग्रामीण इलाके में बैंकिंग सेवाएं घर-घर तक पहुंचायीं गयीं. सखी मंडल की बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट सखी (बीसी सखी) दीदियों ने यह कार्य किया. कुल 1417 बीसी सखी बहनों ने ग्रामीण इलाकों में पेंशन, छात्रवृति, गरीब कल्याण योजना, नकद निकासी एवं अन्य सेवाओं द्वारा सिर्फ अप्रैल से जुलाई 2020 तक 280 करोड़ रुपये का लेन-देन सुनिश्चित किया. इससे ग्रामीण इलाकों की बड़ी आबादी को लाभ मिला.

3.6 लाख को आजीविका से जोड़ा

महामारी से उत्पन्न समस्या के मद्देनजर बड़ी संख्या लोग वापस गांव लौटे, तो उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या थी. तब ग्रामीण विकास विभाग ने मिशन सक्षम एेप की शुरुआत की. इसके माध्यम से बाहर से लौटे लोगों के कौशल का डाटा बेस तैयार किया. उनके सरकारी योजनाओं से जुड़ाव सहित अन्य जानकारी भी डाटा बेस में रखी गयी. करीब 4.71 लाख प्रवासियों का डेटाबेस तैयार किया गया और इनमें से इच्छुक करीब 3.6 लाख को आजीविका की विभिन्न गतिविधियों से जोड़ने का प्रयास किया गया है.

15 लाख मास्क और 73 हजार लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन

लॉकडाउन के दौरान 15 लाख मास्क और 73 हजार लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन सखी मंडल की महिलाअों ने किया. करीब 2100 सखी मंडल की महिलाओं ने मास्क,सैनिटाइजर, फेस वाइजर, पीपीसी का निर्माण एवं पैकेजिंग कर करीब सात करोड़ का व्यवसाय किया.

लोगों के घर तक पहुंची सब्जी, किसान को दाम भी मिला

सखी मंडल द्वारा संचालित आजीविका फार्म फ्रेश मोबाइल एेप के माध्यम से रांची में करीब 6000 परिवारों तक सब्जी की होम डिलीवरी की गयी. इस क्रम में 1200 किसानों से करीब 60 टन सब्जियों की खरीदारी की गयी.

दो करोड़ की सब्जी का कारोबार किया

लॉकडाउन की अवधि में करीब 1350 टन सब्जियों का कारोबार किया गया. इससे करीब दो करोड़ का कारोबार हुआ. इस क्रम में 68 उत्पादक समूह की किसान दीदियों के लिए लॉकडाउन अवधि में फसल उत्पादों के उचित मूल्य पर बिक्री की व्यवस्था की गयी थी.

कोरोना से मिलकर लड़े हम

कोविड-19 में ग्रामीण इलाकों की रीढ़ बनी रहीं सखी मंडल की महिलाएं

अपनी आजीविका की चिंता छोड़ कर कोरोना संकट में मोर्चा संभाला

सोशल डिस्टैंसिंग का पढ़ाया पाठ, हर हाथ को काम देने में भी लगी रहीं, घर-घर तक पहुंचायी बैंकिंग सेवा, पेंशन व छात्रवृत्ति

Posted By : Sameer Oraon

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