अनुपम कुमार, पटना . दीदारगंज टॉल प्लाजा से पिछले पांच दिनों में औसतन 19058 गाड़ियां हर दिन गुजरी. इनमें से केवल 41.2 फीसदी वाहनों में ही फास्टैग लगे थे और 58.8 फीसदी वाहनों ने बिना फास्ट टैग के ही टॉल का नकद भुगतान कर टॉल प्लाजा पार किया.
अगले दो दिनों में यदि ऐसे वाहन मालिकों ने अपने वाहन में फास्ट टैग नहीं लगवाया तो कैश पेमेंट पर डबल चार्ज देना होगा.
यह नियम पूरे देश के लिए बनाया गया है, लेकिन पटना और प्रदेश के अन्य हिस्सों के वाहनों में फास्टैग के अब तक के कम प्रचलन की वजह से यह प्रावधान अगले कुछ दिनों तक इस क्षेत्र के वाहन मालिक में परेशानी की वजह बना रहेगा.
फास्टैग अब हर तरह के नये चारपहिया या उससे अधिक चक्कों वाले वाहनों के साथ लग कर ही आ रहा है. इसमें 500 रुपये का प्रीपेड रिचार्ज भी रहता है, जिसका अलग से ग्राहकों से पैसा नहीं लिया जाता है बल्कि यह वाहन के मूल्य में ही संलग्न रहता है.
उपभोक्ता चाहे तो इसे पोस्ट पेड भी करा सकता है. ऐसा होने पर ग्राहक के अकाउंट से बैंक अपने आप पैसा काट लेता है. फास्ट टैग लगाने का काम बैंकों का है.
वह टैग लगाने का कोई शुल्क नहीं लेता है केवल रिचार्ज करने के लिए पैसे लेेता है. इसलिए जिस बैंक में अकाउंट हो उसी से फास्टैग लगवाना चाहिए.
दीदारगंज टॉल प्लाजा में छह लेन हैं. इनमें केवल एक लेन कैश लेनदेन के लिए है, बाकी पांच लेन में फास्टैग वाले गाड़ियों का आना-जाना हो रहा है.
फास्टैग वाले वाहनों को टॉल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. बल्कि बूम बैरियर पर आगे वाले वाहन से 20 फुट की दूरी बनाकर यदि ये निकलते हैं तो 20 किमी तक की गति होने पर भी इनके फास्टैग को टॉल प्लाजा पर लगे टैग रीडर पढ़ लेंगे और उन्हें निकलने का रास्ता मिल जायेगा.
इससे हर वाहन का कम से कम एक मिनट का समय बचेगा जो कि टॉल प्लाजा पर रुक कर कैश देने और रसीद लेने में लगता था. इससे टॉल प्लाजा पर गाड़ियों की कतार भी नहीं लगेगी क्योंकि फास्टैग रीडिंग के आधार पर पांच मिनट में 100 गाड़ियां निकल सकती हैं, जबकि कैश लेने देने में इतने वाहनों को गुजरने में कम से कम 100 मिनट लगता है.
Posted by Ashish Jha