कोरोना संकट के दौरान देश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आत्मनिर्भरता के साथ भारत को उत्पादन व निर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने का संकल्प लिया है. इसे साकार करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार आवश्यक है. हमारा स्वास्थ्य तंत्र पहले से ही समुचित निवेश और संसाधनों के अभाव से जूझ रहा है. महामारी ने हमें यह सीख दी है कि इसे बेहतर बनाना हमारी नीतिगत प्राथमिकता होनी चाहिए.
कुछ दिन पहले एक संसदीय समिति ने रेखांकित किया कि यदि निजी क्षेत्र के अस्पतालों में अगर संक्रमण के सस्ते उपचार की उपलब्धता होती, तो कई जानें बचायी जा सकती थीं. सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सरकारी व्यय सकल घरेलू उत्पादन का लगभग डेढ़ प्रतिशत ही है. सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साथ बीमा, टीकाकरण, स्वच्छ पेयजल, स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना आदि अनेक कार्यक्रम चला रही है.
आगामी पांच वर्ष में स्वास्थ्य के मद में खर्च को बढ़ा कर ढाई प्रतिशत करने का लक्ष्य भी रखा गया है. यदि यह लक्ष्य पहले ही पूरा कर लिया जाए, तो कई समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकेगा. स्वास्थ्य सेवाओं को पूरे देश में, विशेषकर ग्रामीण, निम्न आय और निर्धन वर्ग को, उपलब्ध कराना आवश्यक है, ताकि आत्मनिर्भर भारत के लिए स्वस्थ कार्यबल मिल सके. शहरीकरण के तीव्र विकास की प्रक्रिया में नगरों-महानगरों में बड़ी जनसंख्या चिंताजनक परिस्थितियों में जीने के लिए विवश है.
यह संतोषजनक है कि स्वास्थ्य सेवा का बाजार बढ़ रहा है और 2022 तक इसका आकार तीन गुना बढ़ कर 8.6 ट्रिलियन रुपये होने की आशा है. बीते दो दशकों में इस क्षेत्र में 6.72 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आ चुका है तथा अनेक शहर चिकित्सा सुविधाओं के बड़े केंद्र के रूप में उभरे हैं. छोटे और मध्यम आकार के शहरों में निजी क्षेत्र के अस्पतालों का विस्तार भी सकारात्मक है. डिजिटल तकनीक के विस्तार से भी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और उपलब्धता बढ़ रही है.
विकास के इस आयाम को सस्ते और सहज चिकित्सा के साथ जोड़ने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. निर्धन परिवारों के बीमा और सस्ती दवाइयां देने जैसी योजनाएं सार्थक और लाभप्रद सिद्ध हो रही हैं. अब संसाधन मुहैया कराने और स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए. डिजिटल तकनीक के माध्यम से ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में उच्चस्तरीय सेवा दी जा सकती है. डेटा, दवाई व साजो-सामान आदि से जुड़े कारोबार अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में सहायक होंगे.
स्वास्थ्य में निवेश से न केवल स्वस्थ भविष्य का निर्माण संभव है, बल्कि यह आर्थिक विकास में भी उल्लेखनीय योगदान दे सकता है. रोजगार और उद्यम बढ़ाने में इससे मदद मिल सकती है. स्वास्थ्य क्षेत्र एवं चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए उठाये गये हालिया कदमों से इसके बेहतरी को गति मिलेगी. जिला स्तर पर मेडिकल कॉलेज तथा गांवों में उपचार केंद्र बनाने की योजनाओं को समुचित निवेश के साथ जल्दी अमल में लाने की कोशिश होनी चाहिए.
Posted By : Sameer Oraon