अमित कुमार, दिघवारा . सारण में भी सूखी मछलियों का कारोबार अब रफ्तार पकड़ने लगा है और यह कारोबार सैकड़ों परिवारों को रोजगार का मौका भी उपलब्ध करा रहा है.
यहां की तैयार सूखी मछलियां बिहार, उत्तरप्रदेश व पश्चिम बंगाल राज्यों के विभिन्न बाजारों तक पहुंचायी जाती है. जहां इसकी खूब मांग है.
एक तरफ मछली के इस कारोबार से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है, तो वहीं दूसरी तरफ खरमास के प्रतिकूल मौसम में भी इस धंधे से जुड़े सैकड़ों परिवारों को जीविकोपार्जन का जरिया मिल रहा है.
सारण जिले के दिघवारा व सोनपुर प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में इन दिनों बहुसंख्यक लोग सूखी मछली के कारोबार से जुड़े हुए हैं और सूखी मछलियां इन व्यापारियों के अर्थोपार्जन का माध्यम बन रही है.
दिघवारा के निजामचक से लेकर सोनपुर के डुमरी बुजुर्ग, नयागांव व बाकरपुर तक निर्माणाधीन फोरलेन पर हर दिन सूखी मछली का कारोबार होता है.
निर्माणाधीन फोरलेन के दक्षिणी हिस्से पर कई किलोमीटर तक मछलियों को सुखाया जाता है और बाद में दूर-दराज के व्यापारी इन जगहों पर पहुंच कर मछलियों की खरीद कर इसे देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाते हैं.
पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में इसकी खपत ज्यादा होने से इस राज्य में इसकी सप्लाइ ज्यादा मात्रा में होती है. पोठिया व अन्य छोटी मछलियों के सुखाने का काम ज्यादा होता है. भंडारण के लिए किसी गोदाम की आवश्यकता नहीं होती है.
व्यापार में सोनपुर प्रखंड के नयागांव के रसूलपुर पंचायत के सैकड़ों लोग शामिल हैं, जिसमें मल्लाह जाति के लोगों का प्रतिशत भी काफी अधिक है. अन्य जाति के लोग भी इस धंधे से जुड़े हैं जिनको सूखी मछली बेचने से अच्छी आमदनी प्राप्त होती है.
खरमास का महीना चल रहा है ऐसे में रोजगार के अवसरों में कमी आयी है, मगर सूखी मछली के इस व्यवसाय में जुड़े लोगों की आमदनी पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है.
जानकारी के मुताबिक निर्माणाधीन फोरलेन पर मछलियों को बिछाया जाता है और सात दिन से 10 दिनों तक इन मछलियों को सुखाने के बाद इसकी छटाई होती है और फिर अच्छी क्वालिटी की मछलियां को व्यापारियों के हाथों बेचा जाता है.
इससे मछली व्यापार से जुड़े लोगों को अच्छी आमदनी प्राप्त होती है. छटाई काम से जुड़े मजदूरों को 200 से 300 रुपये प्रतिदिन की दर से मजदूरी मिलती है और वे लोग सुबह से शाम तक मछली की छटाई के काम में तल्लीन नजर आते हैं.
इस व्यापार से जुड़े श्यामजीत महतो बताते हैं कि उत्तरप्रदेश के गोरखपुर व पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी समेत बिहार व पश्चिम बंगाल के कई जिलों में जाकर बेचा जाता है. कई बार उन क्षेत्रों के व्यापारी आकर इन सूखी मछलियों की खरीद कर ले जाते हैं.
मछली की जैसी क्वालिटी होती है वैसा ही उसका दाम लगता है. बिहार के वैशाली जिले के सराय से भी बड़ी संख्या में व्यापारी निर्माणाधीन सड़क पर पहुंचकर सूखी मछलियों की खरीद कर इसे उत्तरप्रदेश,पश्चिम बंगाल और बिहार के विभिन्न जिलों में भेजते हैं, जिससे उनलोगों को अच्छी आमदनी होती है.
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इस धंधे से दिघवारा, सोनपुर, दरियापुर प्रखंडों के 100 से अधिक परिवारों को रोजगार मिलता है.
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लगभग दो सौ से अधिक दैनिक मजदूरों को तीन महीने तक लगातार काम मिलता है.
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मछली के चुनने में दक्ष मजदूरों की आवश्यकता होती है.
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सोनपुर प्रखंड के नयागांव के रसूलपुर पंचायत के पांच दर्जन से अधिक लोगों को सीमित अवधि तक रोजगार मिलता है.
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हर दिन 50 हजार से एक लाख मूल्य तक की सूखी मछलियों का कारोबार होता है.
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अच्छी धूप रहने पर मछलियों का व्यापार अच्छा होता है.
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बिहार के सारण, समस्तीपुर, वैशाली,मुजफ्फरपुर,बेगूसराय,खगड़िया, पटना समेत उत्तरप्रदेश व पश्चिम बंगाल के कई जिलों तक यहां की तैयार मछलियां पहुंचती है.
Posted by Ashish Jha