नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस शासित पुडुचेरी में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बावजूद पंचायत और नगरपालिका के चुनाव नहीं हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं देश का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं. पुडुचेरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पंचायत और म्यूनिसिपल इलेक्शन नहीं हो रहे. आप हैरान होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में ये आदेश दिया था. लेकिन इसे टाला जा रहा है. कांग्रेस (Congress) इसे टाल रही है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि वहां जो सरकार है, इस मामले को लगातार टाल रही है. पुडुचेरी में दशकों के इंतजार के बाद साल 2006 में स्थानीय निकाय चुनाव हुए थे. इन चुनावों में जो चुने गये उनका कार्यकाल साल 2011 में ही खत्म हो चुका है. प्रधानमंत्री ने यह बात कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उन आरोपों के जवाब में कहा जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में कोई लोकतंत्र नहीं है और यह केवल कल्पना में मौजूद है.
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में संपन्न हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जहां केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश बनने के एक साल के भीतर इन चुनावों को पारदर्शिता पूर्वक संपन्न कराकर दिखाया है कि देश में लोकतंत्र कितना मजबूत है, वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कांग्रेस शासित पुडुचेरी में पंचायत और नगरपालिका के चुनाव नहीं कराये गये हैं.
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में कुछ लोग सुबह-शाम, आए-दिन मोदी को कोसते रहते हैं. टोकते रहते हैं. अपशब्दों का प्रयोग करते रहते हैं और आए-दिन मुझे लोकतंत्र सिखाने के लिए रोज नये-नये पाठ पढ़ाते हैं. मैं उन लोगों को आज जरा याद दिलाना चाहता हूं. जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के एक साल के भीतर पंचायती राज व्यवस्था को लागू करके दिखाया गया, लेकिन दूसरी और विडंबना देखिए पुडुचेरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पंचायत और नगरपालिका के चुनाव नहीं हो रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि जो मुझे रोज यहां लोकतंत्र के पाठ पढ़ाते हैं, उनकी पार्टी वहां राज कर रही है. उन्होंने कहा कि आप हैरान होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में ये आदेश दिया था, लेकिन वहां जो सरकार है. जिसका लोकतंत्र पर रत्ती भर भरोसा नहीं है. इस मामले को लगातार टाल रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि गांव के विकास में, गांव के लोगों की भूमिका सबसे ज्यादा रहे और इसके मद्देनजर योजना बनाने से लेकर अमल और देखरेख तक पंचायती राज से जुड़े संस्थानों को ज्यादा ताकत दी जा रही है.
Posted By: Amlesh Nandan.