माहात्मा बुद्ध की शिक्षाओं और संदेशों ने सदियों से मानवता का मार्गदर्शन किया है. उनकी प्रासंगिकता निरंतर बढ़ती गयी है. बौद्ध दर्शन और साहित्य को संग्रहित करने और संजोने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पुस्तकालय बनाने का प्रस्ताव रखा है. पारंपरिक बौद्ध साहित्य और शास्त्रों को सहेजने के साथ यह पुस्तकालय शोध और संवाद का भी केंद्र होगा.
प्रधानमंत्री के प्रस्ताव के अनुसार इस संस्थान का प्रमुख उद्देश्य यह अध्ययन करना भी होगा कि आधुनिक विश्व की समकालीन चुनौतियों के संदर्भ में बुद्ध के संदेश कैसे हमारा पथ-प्रदर्शन कर सकते हैं. भारत सरकार लंबे समय से बौद्ध दर्शन और संदेश के संग्रहण और उनके वैश्विक प्रसार की दिशा में प्रयासरत है. फरवरी, 2003 में केंद्र सरकार ने पांडुलिपियों के लिए राष्ट्रीय मिशन की शुरुआत की थी.
इसके तहत विभिन्न धर्मों और दर्शन परंपराओं के प्राचीन व दुर्लभ ग्रंथों को जमा करने, अनुदित करने तथा उनका डिजिटल रूपांतरण की महत्वाकांक्षी योजना पर काम चल रहा है. मिशन ने भारत में बौद्ध साहित्य की विरासत के संदर्भ में महत्वपूर्ण कार्य किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने पुस्तकालय में विश्व में अन्यत्र उपलब्ध सामग्रियों के डिजिटल संस्करणों को लाने का आह्वान किया है. इस कार्य के पूरा होने के बाद बौद्ध भिक्षु, आचार्य, धर्मावलंबी और अन्य शोधार्थी एक ही स्थान पर संपूर्ण साहित्य व शास्त्र को पढ़ने-समझने का कार्य कर सकेंगे.
हमारा देश भले ही एक बौद्ध देश के रूप में चिन्हित न होता हो, लेकिन हमारे यहां बुद्ध की शिक्षाओं और बौद्ध दर्शन के गूढ़ अर्थों के साथ उनके नैतिक, सामाजिक व व्यक्तिगत महत्व पर हमेशा से विचार होता रहा है. यह हमारी शिक्षा व्यवस्था का विशिष्ट अंग है. विश्वविद्यालयों में दर्शनशास्त्र में इसकी पढ़ाई के साथ अनेक स्थानों पर बौद्ध अध्ययन के स्वतंत्र विभाग हैं तथा पुस्तकालयों में समुचित सामग्री उपलब्ध है.
महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी पवित्र जगहों के विकास पर भी ध्यान दिया जाता है. इस कड़ी में एक वृहत पुस्तकालय का निर्माण महत्वपूर्ण परिघटना होगी. पड़ोस के कुछ देशों के साथ एशिया के कई देशों में बौद्ध धर्म के अनुयायियों की बड़ी संख्या वास करती है. बुद्ध के संदेश और बौद्ध दर्शन उनकी परंपरा और सभ्यता के सबसे विशेष तत्व हैं.
उन देशों के साथ प्राचीन काल से भारत की जो निकटता रही है, उसमें यह पहलू अहम है कि महात्मा बुद्ध भारत के हैं. पुस्तकालय की स्थापना और शोध व संवाद को बढ़ावा देने से इन देशों के साथ हमारे संबंध और भी गहरे होंगे.
जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया है, निर्धनता, नस्लभेद, अतिवाद, लैंगिक भेदभाव, जलवायु परिवर्तन आदि जैसी कई समस्याओं से जूझते विश्व के लिए महात्मा बुद्ध के संदेश समाधान पाने के कारगर उपाय प्रदान कर सकते हैं. हिंसा, अन्याय और विषमता से त्रस्त मानवता को बौद्ध दर्शन से राहत मिल सकती है. मनुष्यता के अच्छे भविष्य की राह में यह पुस्तकालय एक प्रकाश स्तंभ हो सकता है.
Posted by : Sameer Oraon