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रसियन मेड एके-47 से नक्सली जिदन गुड़िया ने की फायरिंग, जानें इस हथियार की खासियत और पुलिस क्यों करेगी इसकी जांच

रसियन मेड एके-47 से जिदन गुड़िया ने की फायरिंग

खूटी : पीएलएफआइ का रीजनल कमेटी सदस्य व 15 लाख का इनामी जिदन गुड़िया ने मुठभेड़ के दौरान रसियन मेड एके-47 से ब्रस्ट फायरिंग की थी. यह हथियार सिर्फ पुलिस के पास होता है. इसलिए पुलिस इस बात की भी जांच करेगी कि यह हथियार उसके पास कहां से आया. ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे सीआरपीएफ के टूआइसी पीआर मिश्र ने बताया कि खूंटी के मुरहू स्थित कोयंगसार गांव के समीप जंगल में जिदन के होने की सूचना पर सोमवार की शाम ऑपरेशन शुरू किया गया था.

जंगल में सर्च अभियान चलाया जा रहा था. इसी दौरान पहाड़ी के ऊपर जिदन गुड़िया नजर आया. जबकि कुछ उग्रवादी आसपास में फैले हुए थे. पुलिस को सामने आता देख जीदन ने अपने एके 47 से फायरिंग की और पूरी मैगजीन खाली कर दी. इस गोलीबारी में पुलिस के कई जवान आंशिक रूप से घायल हो गये. फायरिंग करने के बाद जिदन वहां से कुछ दूरी पर मौजूद अपने साथी की ओर भागने का प्रयास किया.

इस दौरान पुलिस की ओर से की गयी फायरिंग में उसे गोली लगी और मौके पर ही मौत हो गयी. वहीं अन्य उग्रवादी भाग निकले. श्री मिश्र ने कहा कि पुलिस के जवान जीदन से महज 50 मीटर दूर थे.

जिला परिषद अध्यक्ष ने शव की शिनाख्त की :

जिदन गुड़िया के शव को घटनास्थल से मुरहू थाना लाया गया. इसके बाद उसकी पत्नी सह खूंटी जिला परिषद की अध्यक्ष व भाजपा नेत्री जोनिका गुड़िया, भाई जॉनसन गुड़िया और अन्य परिजन पहुंचे. पत्नी ने जिदन के शव की शिनाख्त की. उसका रो-रोकर बुरा हाल था. पत्रकारों ने उनका बयान लेना चाहा लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. वहीं देर शाम शव का पोस्टमार्टम किया गया. पोस्टमार्टम के लिए दंडाधिकारी की नियुक्ति और मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था. वहीं फोरेसिंक टीम का भी गठन किया गया था.

जिदन ने जिस हथियार

से फायरिंग की थी वह केवल पुलिस के पास होता है

सर्च अभियान के दौरान पहाड़ी के ऊपर नजर आया था जिदन गुड़िया

2007 में पहली बार गिरफ्तार हुआ, कोर्ट ले जाते समय हो गया था फरार

खूंटी : पुलिस के लिए सिर दर्द रहा जिदन गुड़िया 2007 में पहली बार गिरफ्तार हुआ था. तोरपा के तत्कालीन थाना प्रभारी दिग्विजय सिंह जो वर्तमान में तोरपा के पुलिस इंस्पेक्टर हैं उन्होंने पहली बार उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था. जिदन को महिला मित्र के साथ गौड़बेडा गांव के पास से गिरफ्तार किया गया था. लेकिन कुछ माह बाद जेल से पेशी के लिए कोर्ट ले जाने के दौरान वह फरार हो गया था. तब से पुलिस उसकी तलाश कर रही थी.

पीएलएफआइ में आने के पूर्व दर्जी का काम करता था :

जिदन तोरपा प्रखंड के कोचा करंजटोली गांव का रहनेवाला था. पीएलएफआइ में शामिल होने के पूर्व वह तपकारा में दर्जी का काम करता था. अपनी जीविका चलाने के लिए उसने तपकारा में ही मोटिया मजदूर का भी काम किया था. 2005 में उसका संपर्क उग्रवादियों से हुआ और उसने हथियार थाम जंगल की राह पकड़ ली. पहले वह मसीह चरण पूर्ति के दस्ते में था. वर्तमान में वह पीएलएफआइ का जोनल कमांडर था तथा संगठन में दिनेश गोप के बाद दूसरे नंबर पर था.

दोनों पत्नियों को बनाया जनप्रतिनिधि :

जिदन की पहली पत्नी रीता गुड़िया वर्ष 2010 में तपकारा पंचायत की मुखिया चुनी गयी थी, जबकि दूसरी पत्नी जुनिका गुड़िया वर्तमान में जिला परिषद की अध्यक्ष हैं. इनको जनप्रतिनिधि बनाने में जिदन की मुख्य भूमिका रही.

जिदन गुड़िया पर हत्या के 40 केस

जिदन 2005 में जेएलटी नामक संगठन से जुड़ा था. यही जेएलटी बाद में पीएलएफआइ के रूप में परिवर्तित हो गया. संगठन में जुड़ते ही जिदन ने कई घटनाओं को अंजाम दिया. वह क्षेत्र के लिए आतंक बन गया था. उसके खिलाफ 129 मामले दर्ज हैं.

इसमें हत्या के 40 मामले हैं. खूंटी के विभिन्न थानों में 40 केस दर्ज, तो तोरपा थाना में 50 मामले दर्ज हैं. तोरपा थाना में उसके विरुद्ध सबसे पहले 2007 में पहला मामला आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज किया गया था. जिदन की तलाश खूंटी के अलावा रांची, गुमला, सिमडेगा, चाईबासा आदि जिलों की पुलिस को भी थी.

मुठभेड़ स्थल से बरामद सामान

मुठभेड़ स्थल से पुलिस को एक एके 47, एके 47 के तीन मैगजीन, एके 47 के 75 जिंदा कारतूस, दो वाॅकी-टाॅकी, 12 मोबाइल, पांच मोबाइल चार्जर, सात वाॅकी-टाॅकी चार्जर, 75 सिम कार्ड और 27050 रुपये बरामद हुये हैं.

posted by : sameer oraon

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