राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) ने इस वर्ष जो आंकड़े जारी किये हैं, वे यह बताते हैं कि देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं सात प्रतिशत बढ़ी है. हालांकि यह डाटा 2019 का है, लेकिन इस वर्ष यानी 2020 में भी स्थिति सुधरी हो ऐसा प्रतीत नहीं होता है.
राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में जुलाई तक महिलाओं के खिलाफ हिंसा की 2,914 रिपोर्ट दर्ज हुई है. इस मामलों में घरेलू हिंसा, रेप, अपहरण और दहेज हत्या के मामले शामिल हैं. जून महीने में ही रेप के 78 मामले दर्ज हुए जबकि 38 मामले यौन हिंसा के थे.
महिला आयोग के पास जो रिपोर्ट दर्ज हुए हैं उनमें से सर्वाधिक मामले उत्तर प्रदेश से ही हैं. उत्तर प्रदेश में ही हाथरस और बलरामपुर गैंगरेप जैसे मामले हुए. वहीं एनसीआरबी के आंकड़े यह बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की सबसे अधिक घटना हुई.
रेप की दर की बात करें तो प्रति एक लाख की आबादी के हिसाब से सबसे ज्यादा रेप राजस्थान में हुए. यहां रेप का रेट 15.9 था, जबकि केरल में 11.1 और हरियाणा में रेट 10.9 प्रतिशत है. उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूति जनजाति की महिलाओं के साथ ज्यादा क्रूरता की गयी.
स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारत में हर 16 मिनट में एक महिला रेप की शिकार होती है. जबकि दहेज हत्या की घटना प्रति एक घंटे में होती है. एसिड अटैक की घटना प्रति दो दिन पर होती है जबकि जबकि गैंगरेप और हत्या की घटना हर तीस घंटे में होती है, जबकि रेप की कोशिश की शिकार महिलाएं हर दो घंटे में होती हैं.
इस वर्ष घटी रेप की जघन्य घटनाएं
-उन्नाव में 12 मार्च को एक नौ साल की बच्ची के साथ क्रूरतम तरीके से रेप किया गया. बच्ची के शरीर से इतना खून बहा कि अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया.
– हाथरस में 14 सितंबर को एक नाबालिग के साथ गैंगरेप के बाद उसकी हत्या कर दी गयी
-बलरामपुर में एक 22 वर्षीय दलित युवती के साथ रेप की घटना हुई.
– झारखंड के दुमका में एक महिला के साथ 17 लोगों ने दुष्कर्म किया
यह महज चंद उदाहरण हैं, ऐसी कई घटनाएं देश में लगातार हो रही हैं, जिनमें छोटी बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं दर्ज हो रही हैं और कई ऐसी घटनाएं भी हैं जो दर्ज ही नहीं हो पाती हैं.
Posted By : Rajneesh Anand