काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने संसद भंग करने की सिफारिश की है. ओली ने रविवार को हुई मंत्रिमंडल की आपात बैठक में यह प्रस्ताव रखा है. यह प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ओली ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेताओं और मंत्रियों से अलग-अलग मुलाकात के बाद मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई और संसद भंग करने की सिफारिश कर डाली.
नेपाल अखबार काठमांडू पोस्ट ने ऊर्जा मंत्री वर्षमान पून के हवाले से कहा कि आज मंत्रिमंडल ले संसद भंग करने की सिफारिश की है. राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के पास इस अनुशंसा को मंजूरी के लिए भेजा जाना अभी बाकी है. अखबार ने कहा है कि ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दल प्रचंड के साथ सत्ता संघर्ष के बीच यह कदम उठाया है.
पिछले कई महीनों से नेपाल में राजनीतिक संकट को लेकर खबरें आ रही हैं. इस बीच संसद भंग किये जाने की खबर आई है. लेकिन नेपाल के संविधान में संसद को भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है. ऐसे में मंत्रिमंडल के इस फैसले को संविधान के खिलाफ बताया जा रहा है. अब सरकार के इस फैसले पर राष्ट्रपति को ही निर्णय करना है. उनकी मंजूरी के बाद ही संसद भंग की जा सकती है.
कहा जा रहा है कि ओली सरकार के इस फैसले के खिलाफ राजनीतिक पार्टियां अदालक का दरवाजा भी खटखटा सकती हैं. बता दें कि संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित एक अध्यादेश को राष्ट्रपति ने मंगलवार को मंजूरी दे दी थी. इसी अध्यादेश को लेकर पक्ष और विपक्ष में खींचतान चल रही थी. ओली सरकार पर इसे वापस लेने का दबाव था. हो सकता है इसी वजह से ओली ने संसद भंग करने की सिफारिश की.
Posted by: Amlesh Nandan.