राज्य के तीन आइपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजने के फैसले को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच तकरार बढ़ गयी है. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया है.
राज्य सचिवालय के सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार का दावा है कि राज्य की अनुमति नहीं रहने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय आइपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजने के लिए बाध्य नहीं कर सकता. राज्य सरकार का कहना है कि बंगाल कैडर के आइपीएस अधिकारियों को राज्य की सहमति के बिना केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेज कर केंद्र सरकार ने संघीय ढांचे का उल्लंघन किया है.
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गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हुए हमले के बाद केंद्र सरकार ने तीन आइपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था. गुरुवार को केंद्र सरकार ने तीनों अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर विभिन्न पदों पर नियुक्त करने का आदेश दिया है.
क्या है मामला
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर 10 दिसंबर को दक्षिण 24 परगना जिले के डायमंडहार्बर में पथराव किया गया था. इस हमले को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है. जेपी नड्डा की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिन आइपीएस अधिकारियों के पास थी, उन तीन पुलिस अफसरों को केंद्र सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर भेजने का निर्देश दिया है.
इन अधिकारियों को नयी नियुक्ति दे दी गयी है. केंद्र ने डायमंड हार्बर पुलिस जिला के अधीक्षक भोलानाथ पांडे को तीन वर्ष, दक्षिण बंगाल के एडीजी राजीव मिश्रा व प्रेसीडेंसी रेंज के डीआइजी प्रवीण त्रिपाठी को पांच साल की प्रतिनियुक्ति पर भेजने का निर्देश दिया है.
जानकारी के अनुसार, भोलानाथ पांडे को ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च डेवलपमेंट (बीआरडीपी) में पुलिस अधीक्षक, राजीव मिश्रा को इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आइटीबीपी) में आइजी व प्रवीण त्रिपाठी को सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में डीआइजी का पदभार सौंपा गया है. हालांकि केंद्र सरकार ने तीनों अधिकारियों को शुक्रवार से ही पदभार संभालने का निर्देश दिया था, लेकिन वे नहीं गये. राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के फैसले का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया है.