पटना. बिहार में ग्राम पंचायतों के वित्तीय स्थिति में सुधार होने से पहली बार दिसंबर में एक हजार करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र मिलने की संभावना है.
अभी तक पंचायतों द्वारा खर्च की गयी राशि के 30 हजार करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र जुटाने में विभाग के पदाधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं.
ग्राम पंचायतों द्वारा खर्च की गयी राशि का हिसाब जुटाने के लिए राज्य की करीब छह हजार ग्राम पंचायतों में इसकी तैयारी हो चुकी है.
इधर राज्य के 15 जिलों में कंप्यूटराइज्ड डाटा का संग्रह भी किया जा रहा है. सभी तकनीकी सहायकों को लैपटाप दिये जायेंगे, जिससे खर्च का हिसाब-किताब रखना आसान होगा.
ग्राम पंचायतों के हिसाब किताब ठीक रखने के लिए पंचायती राज विभाग द्वारा कुल 2096 लेखापाल सह आइटी सहायक का पद सृजित है. लेखापाल के पदों पर 1500 कर्मी काम कर रहे हैं.
एक लेखापाल को चार पंचायतों के लेखा का हिसाब की जिम्मेदारी दी गयी है. रोकड़पंजी की जगह लेखापालों को लैपटॉप उपलब्ध कराया जा रहा है.
विभाग द्वारा राज्य 325 लेखापालों सह आइटी सहायकों को लैपटॉप खरीद के लिए दो करोड़ 11 लाख 87 हजार 754 रुपये और दूसरे चरण में राज्य के 1050 लेखापाल सह आइटी सहायकों को लैपटॉप खरीद के लिए छह करोड़ 84 लाख 52 हजार 747 रुपये जिलों को जारी कर दिया गया है.
इस प्रकार राज्य के 1375 लेखापाल सह आइटी सहायक अपने क्षेत्राधिकार के पंचायतों में खर्च की गयी विभिन्न योजनाओं की राशि का ऑनलाइन रिपोर्ट करना शुरू कर देंगे.
पंचायती राज विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार ग्राम पंचायतों में लेखापालों को लैपटॉप देने का तत्काल लाभ मिलना शुरू हो जायेगा.
उन्होंने बताया कि अभी तक प्रति माह ग्राम पंचायतों से 50-75 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र ही विभाग को उपलब्ध होता था.
लैपटॉप और जिला स्तर पर पदाधिकारियों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के बाद यह उम्मीद है कि दिसंबर माह से प्रति माह एक हजार करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र मिलने लगेगा. 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में ग्राम पंचायतों के लेखा को कंप्यूटराइज्ड किया जाना है.
Posted by Ashish Jha