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बिहार में दो लाख से अधिक निबंधित किसानों में से अब तक मात्र 22 हजार ही बेच पाये हैं अपना धान, जानें कितनों की शिकायत हुई दर्ज

सरकार के दर से निकली ' राहत' धान किसानों के घर तक सौ फीसदी नहीं पहुंच पा रही है़ धान किसान कागजों की खानापूरी- पैक्सों की मनमानी, स्थानीय अफसरों की अनदेखी में अभी भी फंसा हुआ है़

अनुज शर्मा,पटना. सरकार के दर से निकली ‘ राहत’ धान किसानों के घर तक सौ फीसदी नहीं पहुंच पा रही है़ धान किसान कागजों की खानापूरी- पैक्सों की मनमानी, स्थानीय अफसरों की अनदेखी में अभी भी फंसा हुआ है़

हजारों छोटे किसान कुल धान का एक बड़ा भाग गेहूं आदि की फसल बोने के लिये 1100 – 1600 रुपये प्रति क्वींटल के बीच जो भाव मिला, उसमें बेच चुके है़ं. बचे हुए धान को एमएसपी (1888 रुपये प्रति क्विंटल)पर बेचने के लिये पैक्स के बुलावे का इंतजार है़ सरकार के रिकार्ड के मुताबिक बुधवार तक दो लाख 24 हजार किसान धान बेचने के लिये निबंधित हो चुके थे.

सरकार गुरुवार की शाम तक पैक्स- व्यापार मंडल राज्यभर के मात्र 22 हजार 21 किसानों की उपज खरीद सकी थीं. सचिवालय स्थित सहकारिता विभाग की हेल्पलाइन पर ही बुधवार तक 254 किसान शिकायत दर्ज करा चुके हैं.

किसानों को धान बेचने में कोई दिक्कत नहीं हो इसके लिये पैक्स-व्यापार मंडल को आदेश हैं. बीते सालों के आंकड़ों से इस साल की धान खरीद को तोलें तो प्रक्रिया सौ गुना तेज है़ बावजूद इसके किसान की परेशान पूरी तरह खत्म नहीं हुई है़

धान सुखाने-रखने की जगह की कमी, आगामी फसल की बुवाई, परिवार की जरूरत के कारण किसान इंतजार नहीं कर पा रहा है़ इसके अलावा अधिकतम नमी 17 फीसदी की शर्त का लाभ बिचौलिया-व्यापारी उठा रहे है़ं

मधेपुरा जिला के प्रखंड ग्वालपारा की शाहपुर पंचायत के एक किसान ने सुरक्षा की दृष्टि से अपनी पहचान उजागर न करने के भरोसे पर प्रभात खबर को बताया कि उसने रैयत और गैर रैयत जमीन पर 75 क्विंटल धान पैदा हुआ़ 30 क्विंटल धान नवंबर के तीसरे सप्ताह में 1100 रुपये के भाव बेच दिया ताकि अगली फसल की बुवाई को पैसा आ सके़

45 क्विंटल को एमएसपी पर बेचने के लिये आनलाइन निबंधन कराया़ पैक्स अध्यक्ष के पास हार्ड कॉपी देने गया तो बताया कि जमीन की रसीद नहीं चलेगी़ 12 दिसंबर को सचिवालय की हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करायी है़ समस्या का अभी तक समाधान नहीं हुआ है़

सख्ती में भी बिचौलियों ने निकाला किसानों से कमाई का रास्ता

सरकार की सख्ती के बाद भी बिचौलियों ने किसानों से कमाई का रास्ता निकाल लिया है़ रोहतास जिला के विक्रम गंज निवासी राजमंगल पांडे ने 1650 रुपये प्रति क्विंटल के भाव धान बेचा है़ वह बताते हैं कि बिचौलियों की पैक्स से पूरी सांठगांठ है़ उनका 100 क्विंटल धान था़ बाहर नौकरी करने के कारण वह उपज को स्टोर और सुखाने का इंतजार नहीं कर सकते थे़

एक व्यापारी ने 1650 के भाव से पूरा धान खरीद लिया़ वह धान लेकर सीधा पैक्स गया़ पैक्स में 100 की जगह 80 क्विंटल धान पांडे के नाम दर्शाया गया़ 20 क्विंटल धान किसी गैर रैयत किसान के खाते से बेच दिया गया़ पैक्स ने जब पांडे के नाम चेक जारी कर दिया तो व्यापारी ने उतने ही एमाउंट का बियरर चेक पांडे से ले लिया़

बाढ़ से बह गया धान, बीमा तक नहीं मिला

इस साल बीस जिलों के 234 प्रखंडों में 753534. 05 हेक्टेेयर में फसल नष्ट हुई है. इसकी क्षतिपूर्ति के लिये आपदा प्रबंधन विभाग से नौ अरब 99 करोड़ 60 लाख 78 हजार 641 रुपये की मांग की गयी है. तत्कालीन कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने 12 सितंबर 20 को मीडिया को यह जानकारी दी थी़

प्रभात खबर की पड़ताल में सच कुछ और ही निकला़ दरभंगा जिला की सहसराम पंचायत के गांव बिरौल के किसान हरे कृष्णा बताते हैं कि दो बीघा धान बाढ़ में नष्ट हो गया़ कोई सर्वे करने तक नहीं आया है. कृषि मुख्यालय की हेल्पलाइन पर फोन किया तो पैक्स अध्यक्ष से मिलने को कहा गया है़

बीते साल का सर्वे के बाद भी पैसा नहीं मिला, एलपीसी नयी मांग रहे

हरे कृष्णा ने कहा कि 2019 में पांच बीघा रबी की फसल नष्ट हो गयी थी़ उसका सर्वे के बाद भी क्षतिपूर्ति नहीं मिली है़ बिरौल के ही रैयत किसान रमेश चौधरी कहते हैं कि पांच बीघा रोपने के साथ ही बीमा करा दिया था़ 22 दिसंबर 18 में उन्होंने एलपीसी बनवाया था़ अब नया एलपीसी मांग रहे है़ं एक बार एलपीसी बनवाने में एक हजार रुपये तक का खर्चा आ जाता है़

खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि सरकार पूरी कोशिश कर रही है. व्यवस्था में सुधार को प्रयास किये जा रहे हैं. स्थानीय स्तर पर यदि कोई शिकायत है तो हम उसे दिखवाएंगे. समस्याओं को दूर किया जायेगा़ किसान के अलावा एमएसपी पर कोई और धान नहीं बेच पायेगा़

Posted by Ashish Jha

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