राज्य के बहुचर्चित सृजन घोटाले(Srijan Scam Bihar) में पकड़े गये 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये का अतिरिक्त घोटाला(Srijan Ghotala Bihar) के मामले पर जिला प्रशासन के स्तर से कार्रवाई करने की तैयारी शुरू कर दी गयी. इस अतिरिक्त राशि के घोटाले की फाइल जिला कल्याण पदाधिकारी को भेजने की तैयारी की जा रही है. जिला कल्याण पदाधिकारी द्वारा शिकायतकर्ता (वादी) नामित करने के बाद थाने में प्राथमिकी की जायेगी. इसके बाद मामले को सीबीआइ के हवाले कर दिया जायेगा.
गृह विभाग के निर्देश पर कार्रवाई शुरू की गयी. ज्ञात हो कि बिहार सरकार के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव ने जिलाधिकारी को पत्र भेज कर निर्देश दिया है कि पहले एससी एसटी डिपार्टमेंट या जिलाधिकारी के स्तर से शिकायतकर्ता नामित किया जाये. इसके बाद प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. फिर प्राथमिकी की प्रति प्राप्त कर सीबीआइ को गृह विभाग द्वारा प्रस्ताव भेजा जायेगा.
सृजन मामले में महालेखाकार लेखा परीक्षा दल द्वारा वर्ष 2007 से 2017 के बीच की अवधि का विशेष अंकेक्षण किया गया था. इसमें 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये का अतिरिक्त गबन पकड़ में आया है. इस पर जिलाधिकारी ने 06.03.2020 को मुख्यालय को पत्र भेजा था. इसी पत्र के आधार पर एससी-एसटी कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव ने प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है, ताकि सीबीआइ जांच करायी जा सके.
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सृजन घोटाला मामले में अब तक कई अधिकारियों व कर्मचारियों को गिरफ्तार कर सीबीआइ जेल भेज चुकी है. 10 दिसंबर से अमित कुमार व रजनी प्रिया की भागलपुर में 15 जगहों पर स्थित संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई कर रही है. इनमें अभी तक 13 जगहों पर संपत्ति जब्त की जा चुकी है. यह संपत्ति 15 जगहों पर घर, फ्लैट, दुकान आदि है. इसे कुल दो करोड़ 62 लाख 33 हजार में खरीदी गयी थी. सभी संपत्ति जगदीशपुर, नाथनगर व सबौर अंचल के विभिन्न मौजे में स्थित है. संपत्ति जब्त करने के लिए डीएम के निर्देश पर सदर एसडीओ ने जगदीशपुर, नाथनगर व सबौर के अंचल पदाधिकारियों को बतौर दंडाधिकारी नियुक्त किया है. संपत्ति अधिग्रहित करने के बाद संबंधित थाना के थानाध्यक्ष को रिसीव कराया जायेगा. यह कार्रवाई सीबीआइ द्वितीय पटना के विशेष न्यायाधीश के आदेश पर की जा रही है.
सृजन घोटाला मामले में करोड़ों रुपये सरकारी खाते से निकल गये. तीन साल से सीबीआइ जांच चल रही है. कार्रवाई भी हुई है, लेकिन अभी तक एक रुपये की भी वसूली नहीं की जा सकी है. इस वर्ष पहली बार 26 फरवरी को बैंकों को यह आदेश जारी हुआ था कि वह 30 दिनों के भीतर कल्याण व स्वास्थ्य विभाग को राशि वापस करें. इस आदेश के 30 दिनों के भीतर राशि की वापसी नहीं हुई, तो कल्याण विभाग ने डीडीसी सह नीलामपत्र पदाधिकारी को पत्र लिखा कि राशि नहीं मिली है. इसके बाद वर्तमान जिला कल्याण पदाधिकारी ने भी पत्र लिखा था, लेकिन अभी तक विभाग को बैंकों ने राशि नहीं दी है.
बैंकों से राशि की वसूली के लिए अदालत में भी केस दर्ज है. जिला नजारत शाखा, जिला भू-अर्जन शाखा, जिला परिषद, सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, बुडको के द्वारा राशि वसूली के लिए मनीसूट दायर किया गया है. कुछ मामले में सुनवाई भी चल रही है.