पटना. बिहार में 90700 शिक्षकों को नियोजन पत्र बांटने के हाइकोर्ट के आदेश से संबंधित अभ्यर्थियों को राहत मिली है, वहीं प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा को भी मजबूती मिलेगी.
बिहार में 2.25 लाख शिक्षकों की कमी है. फिलहाल नये शैक्षणिक सत्र में 90 हजार से अधिक शिक्षकों के नियोजन से विद्यार्थी और शिक्षक अनुपात में अहम सुधार होगा.
जानकारों के मुताबिक, इन नियुक्तियों के बाद विद्यार्थी एवं शिक्षकों का अनुपात 40:1 (40 बच्चों पर एक शिक्षक) हो जायेगा. वर्तमान में बच्चों के कुल नामांकन के हिसाब यह अनुपात 45 बच्चों पर एक शिक्षक है. यह वर्तमान नॉर्म्स से काफी ज्यादा है.
नॉर्म्स के मुताबिक 30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक होना चाहिए. सेंटर फॉर बजट एंड गवर्नेंस अकाउंटबिलिटी (सीबीजीए ) और चाइल्ड राइट एंड यू (सीआरवाय) नाम की संस्थाओं ने हाल ही में अपने रिसर्च में बिहार की प्राथमिक शिक्षा को सबसे चिंताजनक पाया था.
रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के प्राथमिक स्कूलों में 38.7 फीसदी अध्यापक प्रोफेशनली ट्रेंड नहीं हैं. पीटीआर मानदंड प्राथमिक स्कूल ( कक्षा 1 से 5) में हर 30 छात्रों के लिए 1 शिक्षक और उच्च प्राथमिक (कक्षा 6 से 8) में हर 35 छात्रों के लिए 1 शिक्षक होना चाहिए.
अगर इस मानदंड को माना जाये तो बिहार के प्राथमिक विद्यालय में 746,479 शिक्षक होने चाहिए.
पीटीआर मानदंड प्राथमिक स्कूल (कक्षा 1 से 5) में हर 30 छात्रों के लिए 1 शिक्षक और उच्च प्राथमिक (कक्षा 6 से 8) में हर 35 छात्रों के लिए 1 शिक्षक होना चाहिए. अगर इस मानदंड को माना जाये तो बिहार के प्राथमिक विद्यालय में 746,479 शिक्षक होने चाहिए.
वर्तमान नियुक्तियां हो जाती हैं तो सभी तरह के प्राइमरी शिक्षकों की संख्या पांच लाख पहुंच जायेगी. ज्यादातर शिक्षकों की कमी प्राथमिक स्कूलों में है. उल्लेखनीय है कि प्रदेश में छठे चरण का यह हो रहा नियोजन 2012 के निर्धारित आंकड़ों पर हो रहा है.
अभ्यर्थी चाहते हैं कि नियोजन की शेष प्रक्रिया जल्दी पूरी की जाये. दो माह बाद पंचायतों के चुनाव की अधिसूचना जारी हो जायेगी.
इसके चलते प्रक्रिया फिर लटक सकती है. इसलिए डीएलएड और बीएड सभी अभ्यर्थी संगठनों ने गुहार लगायी है कि नियुक्ति प्रक्रिया पंचायत चुनावों से पहले पूरी की जाये.
Posted by Ashish Jha