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नये वित्तीय वर्ष में बिहार के सभी जीपीएफ ऑफिस होंगे बंद, आपको होंगे ये फायदे

कार्यरत जिला भविष्य निधि पदाधिकारी समेत अन्य सभी कर्मियों को जिला लेखा कार्यालय में समाहित कर दिया जायेगा. राज्य में अभी 11 जिलों में जिला जीपीएफ पदाधिकारी तैनात हैं और 27 जिलों में जीपीएफ कार्यालय मौजूद हैं.

कौशिक रंजन, पटना. नये वित्तीय वर्ष 2021-22 से राज्य का पूरा वित्तीय प्रशासन नये स्वरूप में दिखने लगेगा. इसके तहत सभी अनुमंडल और अन्य स्तर पर मौजूद तमाम उपकोषागार को बंद करने की पहले से ही पहल चल रही है. अब सभी जिला भविष्य निधि कार्यालयों (जीपीएफ) को भी बंद कर दिया जायेगा.

इसमें कार्यरत जिला भविष्य निधि पदाधिकारी समेत अन्य सभी कर्मियों को जिला लेखा कार्यालय में समाहित कर दिया जायेगा. राज्य में अभी 11 जिलों में जिला जीपीएफ पदाधिकारी तैनात हैं और 27 जिलों में जीपीएफ कार्यालय मौजूद हैं.

इस नये परिवर्तन के बाद से सभी जिलों में एक-एक जिला लेखा कार्यालय होंगे, जिसके प्रमुख जिला लेखा पदाधिकारी होंगे. उनके पास ही ट्रेजरी, जीपीएफ समेत तमाम वित्तीय कार्य का भार होगा. वर्तमान में जिन 27 जिलों में जीपीएफ कार्यालय हैं, उसे ही परिवर्तित करके जिला लेखा कार्यालय बना दिया जायेगा और वहीं जिला लेखा पदाधिकारी बैठेंगे.

जिन 11 जिलों में जीपीएफ कार्यालय नहीं हैं, वहां के डीएम इसके लिए समुचित स्थान का प्रबंध करेंगे. वित्त विभाग के स्तर पर पूरे राज्य के नये वित्तीय प्रबंधन को नये रूप से लांच करने की तेजी से कसरत चल रही है. इस नयी व्यवस्था को हर हाल में आगामी वित्तीय वर्ष से सुचारु ढंग से लागू करने के लिए तेजी से मशक्कत चल रही है.

इसके अलावा सभी जिलों में अब सिर्फ एक जिलास्तरीय ट्रेजरी तथा तीनों राज्य सचिवालय में एक-एक, नयी दिल्ली स्थित बिहार भवन में एक और सचिवालय परिसर के सिंचाई भवन में एक इ-कोषागार रहेगा. राज्य में अन्य कोई कोषागार और जीपीएफ कार्यालय अलग से नहीं होंगे. ये तमाम कार्य जिला लेखा कार्यालय से ही संचालित होंगे. सभी वित्तीय लेन-देन और प्रबंधन की मॉनीटरिंग ऑनलाइन होने लगी है.

इस कारण बंद हुए कोषागार और जीपीएफ कार्यालय

1 अप्रैल 2019 से राज्य में सीएफएमएस (कॉम्प्रेहेंसिव फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम) लागू होने से सभी कोषागार ऑनलाइन हो गये हैं. इससे बिलों का भुगतान से लेकर राशि आवंटन समेत सभी वित्तीय कार्य भी ऑनलाइन ही संचालित होने लगे हैं. इस वजह से कोषागारों की संख्या सीमित कर दी गयी है.

वहीं, राज्य में नयी पेंशन स्कीम के लागू होने से जीपीएफ का लाभ लेने वाले कर्मियों की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है. साथ ही यह पूरी प्रणाली भी ऑनलाइन होने से अलग से कार्यालय की जरूरत नहीं महसूस की जा रही है.

इससे ये होंगे प्रमुख फायदे

  • नये वित्तीय वर्ष में नये स्वरूप में दिखेगा राज्य का वित्तीय प्रबंधन, जिला स्तर पर लेखा पदाधिकारी के अधीन हो जायेंगे सभी वित्तीय कार्य

  • वित्त विभाग ने इससे संबंधित तैयारी कर ली पूरी, सभी उपकोषागार भी होने जा रहे बंद, सिर्फ सभी जिलों और राज्य मुख्यालय स्तर पर रहेंगे कोषागार

  • राज्य में वित्तीय लेन-देन की पूरी प्रणाली ऑनलाइन और सुचारु हो जायेगी

  • वित्तीय प्रबंधन समुचित होने के साथ ही इसमें पारदर्शिता रहेगी

  • कोषागार खासकर जिला और अनुमंडल स्तरीय ट्रेजरी से अवैध निकासी या किसी तरह के गबन की आशंका बहुत कम होगी

  • किसी सरकारी कार्यालय के डीडीओ या उनके प्रतिनिधि को कोषागार जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी

  • तमाम वित्तीय कार्य एक ही स्थान से हो सकेंगे और पूरी प्रणाली पेपरलेस रहेगी

सभी विभागों में तैनात होंगे वित्तीय सलाहकार

सभी विभागों में वित्तीय मामलों की देखरेख करने के लिए एक-एक वित्तीय सलाहकार की नियुक्ति की जा रही है. यह प्रक्रिया भी जल्द ही पूरी कर ली जायेगी. इसमें वित्त विभाग के अधिकारी ही तैनात किये जायेंगे. ये अधिकारी संबंधित विभागों में सभी तरह की वित्तीय गतिविधि पर समुचित नजर बनाये रखेंगे.

Posted by Ashish Jha

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