jharkhand news, pakur news पाकुड़ : पाकुड़ में वन प्रमंडल पदाधिकारी का पदस्थापन नहीं होने से परेशान वहां के रेंजर अनिल कुमार सिंह ने सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है. दरअसल वन प्रमंडल पदाधिकारी नहीं होने से मजदूरी का भुगतान नहीं हो पा रहा है. कोरोना के दौरान काम करनेवाले दैनिक मजदूरों का पैसा दशहरा में भी बकाया रह गया. इधर कंप्यूटर ऑपरेटर को भी पैसा नहीं मिल रहा है. पाकुड़ में वन प्रमंडल पदाधिकारी का पदस्थापन से जुड़ी हर Hindi News से अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.
सरकारी वाहनों में तेल डालने के लिए भी पैसा नहीं था. इस कारण औचक निरीक्षण नहीं हो पाया. अवैध कारोबारियों पर नजर नहीं रखी जा सकी. इसकी सूचना देने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर श्री सिंह ने झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी है. इसमें उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव, वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव तथा पीसीसीएफ को भी पार्टी बनाया है.
अदालत को अधिकारियों के पदस्थापन नहीं होने से लेकर मजदूरों को मजदूरी नहीं मिलने तक की जानकारी दी है. उन्होंने लिखा है कि यहां पदस्थापित डीएफओ डॉ विनयकांत मिश्रा तबादला होने के बाद मजदूरी भुगतान का चेक काटे बिना यहां से चले गये. इस कारण मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया.
अनिल सिंह पर सरकार तीन-तीन बार कार्रवाई कर चुकी है. हजारीबाग में पदस्थापन के दौरान उन पर पौधे की उत्तरजीविता (सर्वाइवल) मामले को लेकर जांच करायी गयी थी. इसमें जांच पदाधिकारी एसीएफ की रिपोर्ट के विपरीत रिपोर्ट डीएफओ ने दी थी. इस मामले में विभागीय कार्यवाही चल रही है. वहीं बरही में पदस्थापन के दौरान इन पर बायोमेट्रिक्स अटेंडेंस नहीं बनाने के मामले पर कार्रवाई की गयी है.
इस मामले में इनका तर्क था कि जब सचिव नहीं बनाते हैं, तो हम कैसे बनायें. इसके बावजूद जब तक कार्यालय में नेट और बायोमेट्रिक्स रहा, उन्होंने अटेंडेंस बनाया था. यह मामला अदालत में भी गया था. एक मामले में इनकी पांच वेतन वृद्धि (इंक्रीमेंट) काट ली गयी है. इन पर ढाई लाख रुपये वित्तीय अनियमितता का आरोप लगा था. इस मामले में भी दो अधिकारियों की जांच रिपोर्ट अलग-अलग है.
संताल परगना के कई जिलों में वन भूमि पर बने निर्माण कार्य मामले को लेकर रामलखन सिंह यादव ने एनजीटी में एक मामला दायर किया था. इसमें वन भूमि पर बने दुमका राजभवन को नियमित करने के मामले में सुनवाई हुई थी. वन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा भी हुई थी. इस मामले में श्री यादव की ओर से अाधिकारिक रूप से पैरवी अनिल सिंह ही कर रहे थे. इस मामले में भी इन पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गयी थी.
वनोपज के नये कानून के तहत श्री सिंह ने अब तक छह करोड़ से अधिक राशि कई कंपनियों से वसूली है. सभी राशि सरकारी खजाने में जमा की गयी है. यह राशि बिना परिवहन चालान की कोयला ढुलाई से संबंधित है. इसमें वेस्ट बंगाल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के भी कई वाहन थे.
posted by : sameer oraon