12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार में हवाई सर्वेक्षण से पुआल जलाने का होगा आकलन, नीतीश कुमार ने किसानों को जागरूक करने की जतायी जरूरत

सीएम ने कहा कि फसल अवशेष जलाना पर्यावरण के लिए घातक है. किसानों को पहले इसके लिए समझाएं. किसानों को जागरूक करने की जरूरत है. जो भी उनकी समस्याएं हैं, उनका निदान किया जायेगा.

पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि फसल अवशेष को जलाने से रोकने के लिए कृषि विभाग के वरीय अधिकारी हवाई सर्वेक्षण कर इसका आकलन करेंगे. उन्होंने मुख्य सचिव को इसके लिए खासतौर से निर्देश दिया.

सीएम ने कहा कि फसल अवशेष जलाना पर्यावरण के लिए घातक है. किसानों को पहले इसके लिए समझाएं. किसानों को जागरूक करने की जरूरत है. जो भी उनकी समस्याएं हैं, उनका निदान किया जायेगा.

उन्हें हर तरह से सहयोग दिया जायेगा. किसान इन अवशेषों का सदुपयोग करें. मुख्यमंत्री सोमवार को एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास में नेक संवाद सभाकक्ष में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के मध्यम से जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरुआत कर रहे थे.

इसके तहत 30 जिलों में पहले और आठ जिलों में दूसरे वर्ष के कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. सीएम ने कहा कि इसके लिए बिहार में ऐसी आदर्श व्यवस्था बनायी जायेगी, जिसका लोग अध्ययन करेंगे.

फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम होती है. फसल अवशेष को जलाने की प्रवृत्ति पंजाब से शुरू हुई और बिहार के रोहतास, कैमूर होते हुए अन्य जिलों तक पहुंच गयी.

पूरे बिहार में फसल अवशेष जलाये जा रहे हैं. वर्ष 2019 से इसके खिलाफ अभियान चलाया गया. उन्होंने कहा कि इस बार धान की सरकारी खरीद का न्यूनतम लक्ष्य 45 लाख टन रखा गया है. इसका काम तेजी से किया जा रहा है.

सीएम ने कहा कि कृषि विभाग ने जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम को चलाने के लिए सभी जिलों में पांच-पांच गांवों का चयन किया है. इससे किसान जागरूक और लाभांवित होंगे. जलवायु अनुकूल कृषि से किसानों की लागत में कमी आती है और उन्हें अधिक लाभ होता है.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की गयी है. इसमें 11 अवयवों को शामिल किया गया है. मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम और फसल अवशेष प्रबंधन भी इसमें शामिल हैं. उन्होंने कहा कि डॉ मार्टिन क्रॉफ से फरवरी, 2016 में मुलाकात हुई थी.

2018 में दोबारा मुलाकात होने पर कृषि से संबंधित एक प्रोजेक्ट पर विस्तृत चर्चा हुई, जिसमें मौसम के अनुकूल किये जा रहे कार्य की प्रशंसा की है. इसे ही आज के कार्यक्रम में दिखाया है. उन्होंने पूसा के बोरलॉग इंस्टीच्यूट फॉर साउथ एशिया में नयी तकनीक के यंत्रों से कटनी को दिखाने पर प्रशंसा व्यक्त की.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी 38 जिलों में मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आठ जिलों में इसकी शुरुआत करीय गयी थी और अब बचे हुए 30 जिलों में इसकी शुरुआत कर दी गयी है. सीएम ने इस कार्यक्रम में अन्य जगहों से जुड़ने वाले कृषि विशेषज्ञों, किसानों का भी अभिनंदन किया.

इस कार्यक्रम में लघु फिल्म के माध्यम से जलवायु के अनुकूल कृषि कार्य के संबंध में कई जानकारियां दी गयी हैं. इस दौरान किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्रों से जुड़े अपने अनुभवों को साझा किया और इससे होने वाले फायदों के बारे में बताया. इस पर सीएम ने खुशी जाहिर की.

जल-जीवन-हरियाली की चर्चा यूएन में भी

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान की चर्चा यूनाइटेड नेशन (यूएन) में भी हुई है. बिहार में अच्छे कार्यों की चर्चा देश के बाहर भी होती है. मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम को जन-जन तक पहुंचाना है. यह पांच वर्ष की योजना नहीं है. यह स्थायी कार्यक्रम है. अभी पांच वर्षों के लिए राशि आवंटित की गयी है. जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि क्षेत्र के लिए यह योजना जरूरी है.

राज्य में 76% आजीविका का आधार कृषि

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 76% लोगों की आजीविका का आधार कृषि है. कृषि के क्षेत्र में विकास के लिए कई कार्य किये गये हैं. कृषि रोडमैप की शुरुआत 2008 में की गयी और अभी तीसरा रोड मैप चल रहा है. बाढ़-सुखाड़ की स्थिति राज्य में निरंतर बनी रहती है. ऐसे में मौसम के अनुकूल फसल चक्र अपनाने पर किसानों को काफी लाभ होगा.

इस कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, डिप्टी सीएम रेणु देवी, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह, कृषि सचिव डॉ एन सरवन कुमार ने भी संबोधित किया. इस दौरान सीएम के परामर्शी अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव दीपक कुमार, सीएम के प्रधान सचिव चंचल कुमार, सचिव मनीष कुमार वर्मा, सचिव अनुपम कुमार, ओएसडी गोपाल सिंह समेत अन्य मौजूद थे.

यंत्रों की खरीद पर 80 फीसदी तक सब्सिडी

नीतीश कुमार ने कहा कि फसल कटाई के समय खेतों में फसलों के अवशेष को नष्ट करने के लिए रोटरी मल्चर, स्ट्रॉ रिपर, स्ट्रॉ बेलर और रिपर कम बाइंडर का उपयोग किसान करें. इन यंत्रों को खरीदने पर राज्य सरकार किसानों को 75% और एससी-एसटी और अति पिछड़े समुदाय के किसानों को 80% अनुदान दे रही है.

Posted by Ashish Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें