बिहार पुलिस एसोसिएशन (Bihar police association) का विवाद अब गहराता जा रहा है. एक तरफ जहां विपक्ष और सत्ता पक्ष इस मामले पर आमने-सामने आ चुके हैं. वहीं दूसरी ओर पुलिस मुख्यालय के द्वारा बिहार पुलिस एसोसिएशन को फर्जी व गैरकानूनी करार दे दिया गया है. एडीजी (विधि व्यवस्था) ने गृह विभाग के पत्र का हवाला देते हुए विधिसम्मत कार्रवाई करने को कहा है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पत्र में यह सूचना दी गई है कि एसोसिएशन के स्वीकृति के संबंध में सरकार के तरफ से कभी किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया. बिहार पुलिस सहित देश के सभी पुलिस बल पर पुलिस बल (अधिकार का निर्बन्धन) अधिनियम 1966 लागू होता है. जिसकी धारा 3 कहती है कि कोई भी पुलिसकर्मी बिना राज्य सरकार की अनुमति के किसी संघ का सदस्य नहीं हो सकता है. राज्य के सभी सेवा संघों पर बिहार सरकारी सेवक (सेवा संघों की मान्यता) नियमावली 1960 भी लागू है.
वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गृह विभाग ने कहा है कि बिहार पुलिस एसोसिएशन के गठन के लिए राज्य सरकार की अनुमति से जुड़े कोई साक्ष्य गृह विभाग में उपलब्ध नहीं है. जिसपर बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कु. सिंह ने कहा है कि संगठन पूरी तरह से विधि एवं नियम सम्मत है. उन्होंने मुख्यालय को सभी वैध दस्तावेज उपलब्ध कराने का दावा किया है.
इस बीच बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन कार्यकारिणी के चुनाव को तत्काल स्थगित रखने का निर्देश दिया गया है. 17 दिसंबर को इसका चुनाव होना था. जिसे जांच प्रक्रिया चलने का हवाला देते हुए अभी रोक दिया गया है.
गौरतलब है कि बिहार में शराबबंदी के मामले में लापरवाही को लेकर एसोसिएशन अध्यक्ष मृत्युंजय सिंह ने अपना विरोध जताया था. उन्होंने कहा कि लापरवाही पर कार्रवाई सिर्फ इंस्पेक्टर दारोगा और जमादार पर ही क्यों. इस मामले में कभी एसपी और डीएसपी पर कार्रवाई क्यों नहीं होती. उनका कहना है कि जब कामयाबी का श्रेय उन्हें जाता है तो विफलता भी उन्हें स्वीकारना होगा. जिसके बाद राजद और कांग्रेस एसोसिएशन के पक्ष में आकर सरकार पर हमलावर है.
Posted By: Thakur Shaktilochan