पटना : बालू घाटों की बंदोबस्ती संबंधी एनजीटी के 21 अक्तूबर, 2020 के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद दाखिल कर लिया.
साथ ही इससे जुड़े पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए आठ फरवरी ,2021 की तिथि तय की है. इस दिन अंतिम सुनवाई होने की संभावना है.
सूत्रों का कहना है कि 23 सितंबर 2020 को दिये बांका जिले के मामले में अपने एक फैसले में एनजीटी ने नये बालू घाटों की बंदोबस्ती के लिए जारी एनआइटी को मनमानीपूर्ण और अनुचित करार दिया था.
एनजीटी ने नदी घाटों की बंदोबस्ती से संबंधित डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट (डिएसआर) को तैयार करने वाली एजेंसियों डीइआइएए और जिला विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ( डीइएसी) को अवैध करार दिया था.
फैसले में कहा गया था कि इनमें शामिल अधिकारियों में पर्यावरण संबंधी विशेषज्ञता का अभाव है. एनजीटी ने कहा था कि 2019 में अधिकारियों जो डिएसआर दिया था उसमें उक्त नदी के 226 हेक्टेयर क्षेत्र में सात खनन घाट का प्रस्ताव था, जबकि एनआइटी में इसे बढ़ाकर 946 हेक्टेयर और 14 खनन घाट कर दिया था.
खान एवं भू-तत्व विभाग ने पिछले दिनों पटना, रोहतास, नालंदा, लखीसराय, जमुई, गया, भोजपुर, भागलपुर, बांका, औरंगाबाद, अरवल और मुंगेर समेत 14 जिलों में बालू घाटों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की थी.
इसके तहत वर्ष 2020 से अगले पांच वर्षों के लिए बंदोबस्ती होनी थी. इससे पहले राज्य की नयी खनन नीति के खिलाफ शिकायत के बाद एनजीटी ने पिछले वर्ष 24 अक्तूबर को पूरे प्रदेश में बालू खनन के इ-ऑक्शन की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी.
एनजीटी ने दो दिसंबर को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. बाद में एनजीटी ने आपत्तियों पर सुनवाई के बाद बिहार बालू खनन नीति, 2019 पर सहमति दे दी थी. इसके बाद सूबे में बालू खनन के लिए इ-ऑक्शन की प्रक्रिया शुरू की गयी थी.
खान एवं भूतत्व विभाग की प्रधान सचिव हरजोत कौर बम्हरा ने बताया कि एनजीटी ने बांका जिले में एक नदी घाट की नीलामी के खिलाफ सुनवाई के दौरान प्रक्रिया को अवैध बताया था.
इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के पक्ष को सुनने के बाद इससे जुड़े पक्षकारों को अपना पक्ष रखने के लिए आठ फरवरी ,2021 का समय निर्धारित किया है.
Posted by Ashish Jha