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बिहार के इस शहर में 2100 पौधों ने पेड़ बनने से पहले ही तोड़ दिया दम, गैबीयन भी गायब

दो साल पहले एक अगस्त को नगर पर्षद प्रशासन द्वारा शहर में 2100 से अधिक पौधे लगा कर शहर को हरा भरा करने का संकल्प लिया गया था. लेकिन, अब शहर भर में लगाये गये अधिकतर पौधे नप कर्मियों और शहरवासियों की लापरवाही व अनदेखी से बेमौत मारे जा चुके है.

भभुआ. वन व पर्यावरण दिवस पर दो साल पहले एक अगस्त को नगर पर्षद प्रशासन द्वारा शहर में 2100 से अधिक पौधे लगा कर शहर को हरा भरा करने का संकल्प लिया गया था. लेकिन, अब शहर भर में लगाये गये अधिकतर पौधे नप कर्मियों और शहरवासियों की लापरवाही व अनदेखी से बेमौत मारे जा चुके है.

पौधे लगाने के बाद न तो वन विभाग ने और न ही नप ने ही कभी उन पौधों का सुध लिया. इसके चलते पौधे नष्ट हो गये और हरियाली के नाम पर उस स्थान पर अब मात्र ठूंठ ही दिखाई दे रहे हैं या वह भी इन दो वर्षों में मिट गये हैं.

इन दो वर्षों के बीच कहीं पौधे लगाने वाले विभाग ने लापरवाही बरती, तो कहीं असामाजिक तत्वों ने पौधों को नुकसान पहुंचाया. माना जाये तो शासन-प्रशासन की शहर को हरा भरा बनाने की योजना न सिर्फ फेल हो गयी. बल्कि सरकारी पैसे भी व्यर्थ में चले गये. इधर, जल जीवन हरियाली को लेकर शासन से मिले निर्देश के बाद फिर से पृथ्वी दिवस के अवसर पर पौधे लगाये जा रहे हैं.

लगाये गये पौधों व उनके गैबीयन का नामोनिशान नहीं

शहर भर में लगाये गये लगभग 2100 से अधिक पौधों का आज नामोनिशान तक नहीं बचा है, तो उनकी सुरक्षा के लिए लगाये गैबीयन भी पौधों के साथ ही आश्चर्यजनक रूप से गायब हो गये. जबकि, इस मामले में जिला प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने पूर्व में दावा किया था कि शहर में लगाये गये पौधों को मरने नहीं दिया जायेगा और पौधों को बचाने का निरंतर प्रयास किया जायेगा.

उन्होंने यह भी कहा था कि यह हम सब का दायित्व है कि जो पौधे लगाये गये है उनकी सुरक्षा के लिए हम सब जागरूक हो. नगर प्रशासन का भी दावा था कि नप के कर्मियों की एक टीम बनायी गयी है, जिन्हें पौधों के देखभाल करने का निर्देश दिया गया है.

उनकी जिम्मेदारी है कि वह प्रतिदिन सभी पौधों की देखभाल करने के साथ-साथ अगर कही पौधे क्षतिग्रस्त होते है, तो वैसे जगहों पर तत्काल नये पौधे लगा दे. लेकिन, अधिकारियों के दावे और पौधों को बचाने के लिए दिये निर्देश कर्मियों द्वारा ताक पर रख दिये गये और लगाये गये पौधे मर गये या फिर जिंदा भी है तो किसी भलेमानस के प्रयास से.

कई जगहों पर देखरेख के अभाव में अधिकतर पौधे हो गये नष्ट

दरअसल, नगर पर्षद ने शहर में जगह-जगह खाली स्थानों में 2100 पौधे लगाये थे. जिला समाहरणालय जाने के मार्ग में ढेर सारे पौधे लगाये गये थे. पौधों की रक्षा के लिए ट्री गार्ड भी लगाये गये. पौधे लगाने के कुछ दिन तक तो इनकी खूब सेवा की गयी. लेकिन, फिर उसके बाद इनकी कभी सुध नहीं ली गयी और पानी व देखभाल के अभाव में एक-एक करते पौधे दम तोड़ने लगे. पौधे एकता चौक से कचहरी रोड से लेकर पटेल चौक तक भी पौधे लगाये गये थे.

लेकिन, यहां पर भी अब इक्का दुक्का पौधे ही दिखाई पड़ते हैं. इन जगहों पर कुछ पौधे ऐसे जगह पर बचे रह गये है, जिन जगहों पर बुद्धिजीवियों और सामाजिक सरोकार रखनेवाले लोग रह रहे हैं या फिर उनकी दुकान है. बाकी अन्य जगहों पर पता ही नहीं चल रहा कि कभी इन जगहों पर पौधे भी लगे थे.

पौधों को लगाने के साथ सुरक्षा का करना था इंतजाम

पर्यावरण से जुड़े समाजसेवी मोहन सिंह यादव, डॉ अरुण कुमार ने कहा कि पौधों की सुरक्षा के लिए उसकी देखरेख होना जरूरी है. पौधा लगाने से ही कुछ नहीं होता है. पौधों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रयास किया जाना चाहिए.

अमृत यादव, देवेंद्र राम, बसंत दुबे ने कहा शहर में कई जगह पौधे देखरेख के अभाव में नष्ट हो गये हैं. समय पर पौधों को पानी नहीं मिल पाया और फिर नप के कर्मियों द्वारा देखभाल नहीं करने के चलते भी पौधे नष्ट हो गये. वहीं, सुजीत पांडेय, शैलेश मिश्र का कहना था कि जब पौधों की देखभाल ही नहीं करनी थी, तो फिर इतने तामझाम करने की जरूरत क्या थी.

Posted by Ashish Jha

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