बिहार में भूमि सर्वेक्षण और जमीन के सीमांकन (मापी) का काम अब जरीब-चेन वाले परंपरागत तरीके से नहीं होगा. सरकार ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे सीमांकन – मापी के तरीके में बदलाव का फैसला किया है.
जरीब के स्थान पर अब इटीएस (इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन मशीन) से पैमाइश करायी जायेगी. इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में कौन सी जमीन सरकारी है. निजी जमीन कहां और किसकी है, इसकी जानकारी राजस्व अधिकारी अपने ऑफिस में बैठकर ही ले सकते हैं. अगले साल 31 मार्च के पहले राज्य में जमीन मापी के इस नये तरीके से काम शुरू हो जायेगा.
राज्य में करीब 1930 से ही जमीन का सीमांकन जरीब (चेन) के माध्यम से किया जा रहा है. इसके चलते सीमांकन आदि के काम पिछड़ रहे हैं. इसके कारण कई बार गड़बड़ी की शिकायतें भी आती रहती हैं. कागजी दस्तावेजों में दर्ज भूमि कुछ है और असल में कुछ और नजर आती है.
सरकार अब जीपीएस प्रणाली अपनाकर जमीन के रिकार्ड को दुरुस्त करने जा रही है. इसके लिए मापी की आधुनिक मशीन इटीएस (इलेक्टट्रॉनिक टोटल स्टेशन ) की खरीद की जायेगी़ भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय इसकी शुरुआत 20 जिलों में चल रहे 208 भू-सर्वेक्षण शिविर से करने जा रहा है.
प्रत्येक शिविर के लिए इटीएस उपलब्ध कराया जायेगा. इसके बाद सभी 534 अंचलों में इटीएस लगायी जायेंगी. इस मशीन का इस्तेमाल करने के लिए अमीनों को विशेष प्रकार की ट्रेनिंग दी जायेगी.
यह ट्रेनिंग राजस्व और सर्वे के बारे में दी जाने वाली सैद्धांतिक और फील्ड ट्रेनिंग के अतिरिक्त होगी. पंजाब सहित कई राज्य इस नयी व्यवस्था से राजस्व का रिकार्ड रख रहे है. इससे उन राज्यों में राजस्व संबंधी विवादों की संख्या बहुत तेजी से घटी है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह का कहना है कि राज्य में विभिन्न विभाग और कार्यालयों में कार्यरत अमीन जरीब की जगह इटीएस से ही मापी का काम करेंगे. इसके लिए सभी कार्यालयों में इटीएस उपलब्धता करायी जायेगी.
शुरुआत भूमि सर्वेक्षण से होने जा रही है. 208 भू-सर्वेक्षण शिविर के अतिरिक्त बिहार के सभी 534 अंचलों में काम करने वाले अमीन इटीएस से ही मापी करेंगे.
इटीएस एक आधुनिक सर्वेक्षण यंत्र है. जमीन की निशानदेही के काम के लिए इसे विशेष तौर पर बनाया गया है. इटीएस दो स्थानों के बीच की दूरी की पैमाइश सटीक तरीके से करेगी.
यह मशीन एक मिमी तक की सटीक और पांच किमी तक की जमीन की बिना कोई चूक किये पैमाइश करने में सक्षम है. किसी विशेष स्थान पर किसी भी ढलान की दूरी को बिना कोई चूक से पढ़ा या दर्ज किया जा सकता है.
डिवाइस जीपीएस से जुड़ी रहकर विभिन्न प्रणाली के साथ भी एकीकृत होती है. इसके प्रयोग से पुराने समय में बनायी गयी व्यवस्था का पूरा नक्शा ही बदल जायेगा. ये प्लेन टेबल, डम्पी लेबल, चेन, कंपास, और थियोडोलाइट सभी का काम करती है.
Posted by Ashish Jha