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UP Panchayat Election 2021: किस गांव के खाते में होगी आरक्षित सीट, यहां जानिए किस वर्ग के लोग कहां लड़ पाएंगे चुनाव…

UP Panchayat Election 2021: उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत चुनाव की सियासी सरगर्मियां तेजी से बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में गांव में ग्राम प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों के लिए होने वाले चुनाव में लोगों को आरक्षण सूची का इंतजार है. इसी से तय होगा कि कौन सी ग्रामसभा की सीट किस जाति के चुनाव लड़ने के लिए आरक्षित की गई है.

UP Panchayat Election 2021: उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत चुनाव की सियासी सरगर्मियां तेजी से बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में गांव में ग्राम प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों के लिए होने वाले चुनाव में लोगों को आरक्षण सूची का इंतजार है. इसी से तय होगा कि कौन सी ग्रामसभा की सीट किस जाति के चुनाव लड़ने के लिए आरक्षित की गई है. ऐसे में ग्राम पंचायत का परिसीमन 4 दिसंबर से 6 जनवरी के बीच पूरा किया जाना है और साथ ही आरक्षण की प्रक्रिया 12 दिंसबर से शुरू होगी.

राज्य के पंचायतीराज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से जारी शासनादेश के अनुसार साल 2011 की जनगणना के आधार पर ग्राम पंचायतवार जनसंख्या का निर्धारण 4 से 11 दिसंबर के बीच किया जाना है, जिसके जरिए गांव के परिसीमन की रूप रेखा तय की जाएगी. इसके बाद फिर आरक्षण की रूप रेखा तय होगी. ऐसे में लोगों का जोर इस बात पर है कि इस बार जो सीट जिस वर्ग के लिए आरक्षित है या अनारक्षित है, वो चुनाव के लिए किस वर्ग के लिए तय होगी. ऐसे में हम बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में पंचायत और वार्डों का आरक्षण किस फॉर्मूल के जरिए तय होता है.

यहां जानें आरक्षित सीट का फार्मूला

इस बार उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होगी. जो सभी सीटों में शामिल होंगी. इनमें ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण हैं. वहीं, साल 2015 के पंचायत चुनाव में सीटों का आरक्षण नए सिरे से हुआ था. इसलिए इस बार चक्रनुक्रम के अनुसार जिन गांवों में पिछली बार अनारक्षित सीट पर चुनाव कराया गया था, उस गांव में इस बार आरक्षण किया जाना चाहिए. आरक्षण की रूप रेखा चक्रानुक्रम आरक्षण से तय होता है. चक्रानुक्रम आरक्षण का अर्थ यह है कि आज जो सीट जिस वर्ग के लिए आरक्षित है, वो अगले चुनाव में वह सीट उस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं होगी.

21 फीसदी एससी-एसटी के लिए होगी आरक्षित सीट

21 फीसदी एससी-एसटी वालों को आरक्षण मिलेगा. चक्रानुक्रम के आरक्षण के वरीयता क्रम में पहला नंबर आएगा अनुसूचित जाति महिला. एससी की कुल आरक्षित सीटों में से एक तिहाई पद इस वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे. फिर बाकी बची एससी की सीटों में एससी महिला या पुरुष दोनों के लिए सीटें आरक्षित होंगी. इसी तरह एसटी के 21 प्रतिशत आरक्षण में से एक तिहाई सीटे एसटी महिला के लिए आरक्षित होंगी और फिर एसटी महिला या पुरुष दोनों के लिए होगा.

27 फीसदी ओबीसी के लिए होगी आरक्षित सीट

27 फीसदी ओबीसी के लिए आरक्षण तय की जाएगी. उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में 27 फीसदी सीट ओबीसी के लिए आरक्षित होंगी, इनमें से एक तिहाई सीटें ओबीसी महिला के लिए आरक्षित की जाएगी. इसके अलावा ओबीसी के लिए आरक्षित बाकी सीटें ओबीसी महिला या पुरुष दोनों के लिए अनारक्षित की जाएगी. इसके अलावा बाकी अनारक्षित सीटों में भी पहली एक तिहाई सीट महिला के लिए होगी और बाकी सीटों पर सामान्य वर्ग से लेकर कोई भी जाति चुनाव लड़ सकता है. इन सभी सीटों पर चक्रानुक्रम आरक्षण से तय होती है.

कैसे तय होता है आरक्षण

आरक्षण तय करने का आधार ग्राम पंचायत सदस्य के लिए गांव की आबादी होती है. ग्राम प्रधान का आरक्षण तय करने के लिए पूरे ब्लाक की आबादी आधार बनती है. ब्लाक में आरक्षण तय करने का आधार जिले की आबादी और जिला पंचायत में आरक्षण का आधार प्रदेश की आबादी बनती है. इस तरह से वार्ड के आरक्षण ग्राम सभा की आबादी के लिहाज से होती है. जैसे उदाहारण के तौर हम आपको बताते है कि किसी एक विकास खंड में 100 ग्राम पंचायतें हैं.

वहां पर 2015 में ग्राम प्रधान पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किए गए थे. अब इस बार के पंचायत चुनाव में इन 27 के आगे वाली ग्राम पंचायतों की आबादी के अवरोही क्रम में (घटती हुई आबादी) प्रधान पद के लिए सीट आरक्षित होंगे. इसी तरह अगर किसी एक विकास खंड में 100 ग्राम पंचायतें हैं और वहां 2015 के चुनाव में शुरू की 21 ग्राम पंचायतों के प्रधान के पद एससी के लिए आरक्षित हुए थे तो अब इन 21 गांवों से आगे वाली ग्राम पंचायतों के पद अवरोही क्रम में एससी के लिए आरक्षित की जाएगी.

आपको बता दें कि 2015 में ग्राम प्रधान पद के लिए सीट जिन पंचायतों को आरक्षित किया गया था, उसके अधार पर इस बार बदलाव किया जाएगा. हालांकि, कई नेता अपनी राजनीतिक रसूख के दम पर अपने गांव को प्रधान पद के सीट पिछड़ा वर्ग और एससी-एसटी के लिए आरक्षित नहीं होने देते हैं. ऐसे में अगर कोई जिला अधिकारी के पास शिकायत करता है तो उन सीटों पर आरक्षण देने का दबाव बढ़ जाता है. हालांकि, इस बार ग्राम पंचायतों में आरक्षण की व्यवस्था ऑनलाइन होने की बात कही जा रही है.

इस बार बदली है व्यवस्था

वर्षों से चला आ रहा खेल इस बार खत्म हो जाएगा. क्योंकि अभी तक यह देखने में आता था कि कई बार राजनीतिक दबाव बनवाकर आरक्षण सूची में बदलाव कर दिया जाता था. इसी शिकायत को दूर करने के लिए शासन इस बार आरक्षण की व्यवस्था आनलाइन करने जा रही है. संभावना है कि यह सूची पूरी तरह से ऑनलाइन होगी. डाटा फिडिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है.

जानिए 2015 में कितने गांवों को मिला था आरक्षण

2015 में हुए पंचायत चुनाव के चक्रानुक्रम आरक्षण में कुल 59074 पंचायतों में से ग्राम प्रधान के कुल 20661 पद अनारक्षित थे. जबकि 9900 पद महिला के लिएर थे. वहीं, 10368 पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किये गये थे. 5577 पद अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के लिए और 7885 पद अनुसूचित जाति के लिए किया गया था. जबकि 4344 पद अनुसूचित जाति के महिला के लिए किया गया था. वहीं, 205 पद अनुसूचित जनजाति व 134 पद अनुसूचित जनजाति महिला के लिए आरक्षित किये गये थे.

News Posted by : Radheshyam kushwaha

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