पटना. राज्य के प्रशासनिक व्यवस्था की रीढ़ माने जानी वाली बिप्रसे (बिहार प्रशासनिक सेवा) के पदाधिकारियों के लिए अभी तक कोई समुचित कैडर रूल तक नहीं है.
23 वर्ष पहले 1997 में बिप्रसे के पदाधिकारियों के लिए तत्कालीन सरकार ने आधा-अधूरा कैडर रूल बनाया था. लेकिन, इसे आज तक कभी संशोधित नहीं किया गया.
इस वजह से आज तक पदाधिकारियों के सामने कई स्तर पर बड़ी समस्याएं आती रहती हैं, और उन समस्याओं पर अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है.
अब राज्य सरकार ने बिप्रसे का कैडर रूल तैयार करने की पहल व्यापक स्तर पर शुरू कर दी है. सामान्य प्रशासन विभाग इसे लेकर कवायद कर रहा है.
हालांकि, बिप्रसे को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं मसलन बिहार ज्यूडिशियरी सेवा, बिहार पुलिस सेवा समेत अन्य सभी सेवाओं के कैडर रूल्स बन गये हैं. इसी तरह से देश के तकरीबन सभी राज्यों की प्रशासनिक सेवा का कैडर रूल कब का बनकर तैयार हो चुका है.
बिहार के बाद बने पड़ोसी राज्य झारखंड के प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारियों का भी कैडर रूल तैयार हो गया है.
इसी तरह हरियाणा, केरल, यूपी समेत अन्य कई राज्यों ने तो कुछ साल पहले ही अपने प्रशासनिक सेवा के कैडर रूल में संशोधन भी कर लिया है और कई अहम बातों को इसमें समाहित भी किया है. लेकिन, बिहार में अभी तक यह पूरी तरह से तैयार ही नहीं हुआ है.
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बिप्रसे के पदाधिकारियों को समय पर प्रोन्नति समेत अन्य सेवाकालीन सुविधाएं नहीं मिल पातीं
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लंबे समय से प्रोन्नति नहीं होने के कारण दूसरी सेवाओं के कनीय पदाधिकारियों की प्रोन्नति वरीय स्तर पर हो जाती है.
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बिप्रसे के पदाधिकारी सीनियर होते हुए भी जूनियर बने रहते हैं.
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प्रोन्नति का कोई मानदंड निर्धारित नहीं है, यह हॉरिजोन्टल मिलेगा या वर्टिकल.
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कई स्थानों पर पद चिन्हित नहीं होने से दूसरे सेवा के अंतर्गत इन पदाधिकारियों को काम करना पड़ता है.
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बिहार पुलिस सेवा के 2000 बैच तक के पदाधिकारी आइपीएस बन गये, जबकि बिप्रसे के 1991-92 बैच वालों को अब तक प्रोन्नति नहीं मिली है
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प्रोन्नति से भरे जाने वाले बिप्रसे के पदाधिकारियों के लिए चिन्हित पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं. इसमें विशेष सचिव के 24, अवर सचिव के 32, संयुक्त सचिव के 150 पद रिक्त हैं.
Posted by Ashish Jha