सीवान. मौसम बदलने के साथ ही अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. मंगलवार की सुबह कोहरा लगा था. हालांकि दिन बढ़ने के बाद थोड़ी धूप निकली लेकिन फिर पूरा दिन मौसम ठंड-सा ही रहा.
मौसम परिवर्तन के साथ ही बीमारियों का प्रकोप दिखाना शुरू हो गया है. सरकारी अस्पताल सहित निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. लोगों को कोरोना संक्रमण के लक्षणों में शामिल खांसी, जुकाम, बुखार से डर सता रहा है.
कुछ लोग तो संक्रमण की जांच करा रहे हैं. वहीं कुछ लोग जांच कराने से कतरा भी रहे हैं. मंगलवार को सदर अस्पताल के ओपीडी में इलाज के लिए करीब चार सौ से अधिक नये मरीज अस्पताल पहुंचे थे.
इसमें सर्दी जुकाम, खांसी, चर्म रोग और वायरल बुखार के मरीज शामिल थे. मौसमी बीमारियों के सबसे ज्यादा मरीज बुजुर्ग व बच्चे हैं. जो सर्दी खांसी, बुखार, गले में जकड़न की शिकायत लेकर आ रहे हैं. डाॅक्टरों की बातों पर ध्यान दें.
सदर अस्पताल के सीएस डॉ यदुवंश शर्मा ने बताया कि सर्दी-खांसी व वायरल फीवर के प्रकोप से बचाव के लिए भरपूर खाना खाने की सलाह चिकित्सकों द्वारा दी जाती है.
साथ ही गुनगुना पानी पीने, गर्म कपड़े पहनने, सुबह शाम की ठंड से बचने, ठंडी चीजों का सेवन न करने तथा सर्दी-जुकाम होने पर चिकित्सक की सलाह लेने की बातें चिकित्सकों द्वारा बतायी जा रही हैं. इसके साथ ही मास्क का प्रयोग अनिवार्य रूप से करने की सलाह दी जाती है.
सर्दियों के मौसम में खान-पान को लेकर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. लापरवाही बरतने का परिणाम जोड़ों में दर्द जैसी परेशानी को बढ़ा सकता है.
इसके साथ ही फास्ट फूड का सेवन भी छोड़ देना चाहिए. इसमें फैट और कार्बोहाइड्रेट अधिक होता है. इससे मोटापा बढ़ता है. इस वजह से शरीर में आलस्य आता है. स्फूर्ति न होने से शरीर के सभी जोड़ों का मूवमेंट कम हो जाता है.
अस्पताल प्रशासन का मानना है कि सर्दी के मौसम में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा होता है. ऐसे में इस रोग से जोखिम वालों को सावधान रहना चाहिए.
ठंड में हर वर्ष ब्रेन हेमरेज के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. इसका मुख्य कारण ब्लड प्रेशर या बीपी है. ठंड में बीपी का तेजी से उतार-चढ़ाव होता है, जो कि ब्रेन हेमरेज का कारण बनता है. इससे नस फटने का खतरा रहता है.
इसलिए बीपी के मरीजों को सावधान रहने की जरूरत है. डॉ संजय गिरि ने बताया कि ब्रेन हेमरेज आमतौर पर रात के समय या अहले सुबह होता है. इसका खतरा उन लोगों में ज्यादा होता है जो बीपी के मरीज तो हैं, लेकिन अपनी दवा छोड़ देते हैं या समय से नहीं लेते.
ब्रेन हेमरेज के शिकार वे लोग भी होते हैं, जो बीपी के मरीज बन चुके हैं, लेकिन उन्हें इसका पता नहीं है. ऐसे में बीपी की दवा नहीं ले रहे होते जो ब्रेन हेमरेज का कारण बनता है.
ठंड के दिनों में बीपी की दवा डॉक्टर से मिलकर एडजस्ट करवानी भी पड़ती है. इसके साथ ही इन दिनों संतुलित आहार लें. बाहर का तला-भूना खाना नहीं खाएं. खाने में उपर से नमक डाल कर नहीं खाएं, इससे बीपी बढ़ने का रिस्क रहता है.
Posted by Ashish Jha