पटना/गया. डोभी-पटना राष्ट्रीय उच्च पथ के निर्माण के लिए अधिग्रहण की गयी भूमि का मुआवजा देने के लिए क्या धनराशि उपलब्ध करायी गयी है, उसकी पूरी जानकारी पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से एक सप्ताह में मांगी है.
चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने ‘प्रतिज्ञा’ नामक संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है. पिछली सुनवाई में हाइकोर्ट ने संबंधित जिलाधिकारियों को यह बताने को कहा था कि भू-मालिकों को क्षति पूर्ति देने के मामले पर क्या कार्रवाई हुई है.
पटना व गया के जिलाधिकारियों ने भू-मालिकों को क्षति पूर्ति देने के बारे में पिछली सुनवाई में भी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत किया था. एनएचएआइ की ओर से कोर्ट को बताया गया कि नेशनल हाइवे के निर्माण कार्य को विभिन्न एजेंसियों के बीच बांट दिया गया है.
राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि भूमि अधिग्रहण का 90 फीसदी काम हो गया है. किसानों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि बहुत सारे भू-मालिकों को क्षति पूर्ति की राशि अब तक नहीं मिल पायी है.
इस मामले पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद फिर की जायेगी. गया में जिला भू-अर्जन विभाग से भूमि अधिग्रहण किये गये भू-स्वामियाें काे बुलाकर मुआवजे की राशि देने की प्रक्रिया की जा रही है. हालांकि कई भू-स्वामी इस बात काे लेकर अड़े हैं कि उनकी जमीन का मुआवजा कम आंका गया है.
इस कारण वह मुआवजा लेने नहीं पहुंच रहे हैं. बताया गया है कि गया में ऐसे कई मामले सुलझा लिये गये हैं, परंतु जहानाबाद में अब भी पेंच फंसा है. इसकी वजह से नेशनल हाइवे का काम बाधित हाे रहा है.
Posted by Ashish Jha