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Jharkhand coronavirus update : राज्य में जांच कम होने से नये संक्रमित भी मिल रहे हैं कम

झारखंड में कोरोना के नये संक्रमितों की संख्या में कमी टेस्टिंग में कमी के कारण आयी है

रांची : झारखंड में कोरोना के नये संक्रमितों की संख्या में कमी आती जा रही है. यह जांच में कमी के कारण भी हो रहा है. राज्य में अगर एक सप्ताह के आंकड़े को देखा जाये, तो जांच में कमी आयी है. जांच की संख्या करीब आधी हो गयी है, जिससे नये संक्रमित कम मिल रहे हैं. रविवार को इसका प्रमाण मिला. रविवार को 16,121 सैंपल की जांच हुई, जो एक सप्ताह पहले 30 नवंबर को 30,813 थी.

नये संक्रमितों की संख्या में कमी आने से रविवार को एक्टिव केस घट कर 1796 तक आ गया है. वहीं, रविवार काे सात संक्रमितों की मौत हो गयी. इससे कुल मौत का आंकड़ा 986 पहुंच गया है.

रांची में मिले सबसे अधिक 37 संक्रमित : रविवार को नये संक्रमितों में सबसे ज्यादा रांची के 37 लोग शामिल हैं.

बोकारो में 31, पूर्वी सिंहभूम में 10, सरायकेला में आठ, देवघर में सात, देवघर में सात, प सिंहभूम में छह, धनबाद में पांच, हजारीबाग में तीन, खूंटी में तीन, लातेहार में एक, पलामू में एक, दुमका में एक नये संक्रमित मिले हैं. रविवार को 96 नये संक्रमित मिलने से राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या 1,11,078 पहुंच गयी है.

इधर, राज्य में कोरोना के 134 संक्रमितों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आयी है, जिसमेंं सबसे ज्यादा 30 संक्रमित रांची जिला के हैं. इसके बाद पूर्वी बोकारो में 31, रांची में 30, पूर्वी सिंहभूम में 27, गुमला में आठ, सरायकेला में दो, हजारीबाग मेें दो, गढ़वा में एक, खूंटी में एक संक्रमित स्वस्थ हुए हैं. रविवार को 134 संक्रमितों के स्वस्थ हो जाने पर स्वस्थ होनेवालों की संख्या 1,07496 पहुंच गयी है. राज्य का रिकवरी का आंकड़ा पहुंचा 97.47 तक आ गया है.

05% संक्रमित पर ही ज्यादा खतरा : डॉ अपार

रांची. राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार कमी आती जा रही है. कोरोना के एक्टिव केस की संख्या 1,845 तक आ गयी है. विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि राज्य की स्थिति पहले से बेहतर हो रही है, लेकिन पांच फीसदी लोगों पर ज्यादा खतरा है. कोरोना संक्रमित में अधिकतर को फाइब्रॉइड (फेफड़ा में सिकुड़न) की समस्या होती है.

95 फीसदी मरीज ठीक हो जाते हैं, शेष पांच फीसदी पर खतरा बना रहता है. अगर वे ठीक हो जायेेंगे, तो स्थिति बेहतर होगी. रिम्स के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ प्रदीप भट्टाचार्या ने बताया कि फेफड़ा तक कोरोना पहुंच जाये, तो स्थिति बिगड़ जाती है. फेफड़ा में फाइब्रॉइड बन जाता है. वायरस के फेफड़ा तक पहुंचने पर कई बार तक मरीज शॉक में चला जाता है. संक्रमित को फेफड़ा ट्रांसप्लांट तक की नौबत आ जाती है. रिम्स में आनेवाले प्रत्येक गंभीर संक्रमित की निगरानी की जाती है, इस पर नजर रखी जाती है कि संक्रमण फेफड़ा तक नहीं पहुंचे. रिम्स के काेविड आइसीयू में ऐसे 10 से 15 संक्रमितों की मौत हुई, जिसमें फ्राइब्राइड ठीक नहीं हो पाया.

कोरोना संक्रमितों में 05% लंग फाइब्रॉइड की समस्या बनी रहती है. ऐसे संक्रमित ही खतरनाक स्थिति मेें चले जाते हैं. इनको बचाना ही मुश्किल हो जाता है. देश में हर जगह संक्रमण दर कम हो रहा है, लेकिन लंग फाइब्रॉइड संक्रमण काल से निगल जायें, ताे स्थिति नियंत्रित हो जायेगी.

डॉ अपार जिंदल,

फेफड़ा विशेषज्ञ, चेन्नई

तिथि कुल जांच नये संक्रमित

30 नवंबर 3,0813 167

01 दिसंबर 27,307 181

02 दिसंबर 21,114 206

03 दिसंबर 22,786 233

04 दिसंबर 21,977 219

05 दिसंबर 23,221 196

06 दिसंबर 16,121 92

posted by : sameer oraon

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