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बंगाल की कोठी को भर रहा बिहार के धान का कटोरा बांका, किसानों से सस्ते रेट में धान खरीद कराया जा रहा बार्डर पार

धान का कटोरा बांका, बंगाल की कोठी भर रहा है. जी हां, बांका का अधिकांश मात्रा में धान पश्चिम बंगाल में निर्यात हो रहा है. चौंकिये मत, यह बात एकदम सच है. धान अधिप्राप्ति के मामले बांका का सहकारिता विभाग भले ही निष्क्रिय हो, परंतु व्यापारी कहीं ज्यादा फुर्ती में हैं. प्रतिदिन करीब 300 ट्रक में धान भर पश्चिम बंगाल के विभिन्न मंडी में उतर रहा है. रविवार को अमरपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मुख्य मार्ग में एक ट्रक खड़ी थी. जिसमें बंगाल ले जाने के लिए धान का बोरा लोड किया जा रहा था. पड़ताल में और अधिक चौकाने वाली बातें सामने आयी.

धान का कटोरा बांका, बंगाल की कोठी भर रहा है. जी हां, बांका का अधिकांश मात्रा में धान पश्चिम बंगाल में निर्यात हो रहा है. चौंकिये मत, यह बात एकदम सच है. धान अधिप्राप्ति के मामले बांका का सहकारिता विभाग भले ही निष्क्रिय हो, परंतु व्यापारी कहीं ज्यादा फुर्ती में हैं. प्रतिदिन करीब 300 ट्रक में धान भर पश्चिम बंगाल के विभिन्न मंडी में उतर रहा है. रविवार को अमरपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मुख्य मार्ग में एक ट्रक खड़ी थी. जिसमें बंगाल ले जाने के लिए धान का बोरा लोड किया जा रहा था. पड़ताल में और अधिक चौकाने वाली बातें सामने आयी.

प्रतिदिन कम से कम 300 ट्रक धान पश्चिम बंगाल जा रहा

बताया गया कि केवल अमरपुर व समुखिया बाजार से ही प्रतिदिन 80 ट्रक धान पश्चित बंगाल जा रहा है. जबकि, पूरे जिले के बात करें तो रजौन, बाराहाट, बौंसी, फुल्लीडुमर सहित अन्य बाजार से प्रतिदिन ट्रक जा रहा है. एक व्यापारी की मानें तो प्रतिदिन कम से कम 300 ट्रक धान पश्चिम बंगाल जा रहा है. गौरतलब हो कि धान अधिप्राप्ति के लिए सरकारी स्तर पर क्रय केंद्र खोला जाता है. परंतु, जिले में क्रय केंद्र अभी-अभी चयन किया गया है. साथ ही अबतक चुटकी भर धान की खरीद संभव नहीं हो पायी है. किसान अपनी आर्थिक जरुरत को पूरी करने के लिए धान को काफी कम कीमत पर ही व्यापारी के हाथ बेचने को मजबूर हैं.

इन मंडी में जा रहा धान

व्यापारी की मानें तो पश्चिम बंगाल के बोलपुर, नानुर, मलारपुर, बर्द्धमान सहित अन्य मंडी में यहां का धान गिराया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर बात करें तो सहकारिता विभाग ने 97 क्रय केंद्र अधिप्राप्ति के लिए अधिकृत किया है. परंतु, अभी खरीद नहीं हुई है.

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60 हजार क्विंटल प्रतिदिन धान का निर्यात

अगर ट्रक पर ले जा रहे धान का हिसाब-किताब पूरे जिले का सरसरी तौर पर निकालें तो प्रतिदिन करीब 300 ट्रक पश्चिम बंगाल जा रहा है. एक ट्रक पर करीब 220 क्विंटल धान लोड होता है. इस हिसाब से करीब 66000 क्विंटल धान निर्यात हो रहा है. वहीं दूसरी ओर किसान से यह धान 1100 रुपये में खरीदी जाती है. जबकि, पश्चिम बंगाल के विभिन्न मंडी में यही धान 1400-1500 रुपये में बेचा जाता है. इस तरह से प्रति क्विंटल करीब चार से पांच सौ की बचत होती है. जबकि, सहकारिता विभाग से प्रति क्विंटल साधारण धान का दर 1868 रुपया निर्धारित है.

व्यापारी मालामाल हो रहे हैं और किसान को सीधा नुकसान हो रहा

यानी व्यापारी मालामाल हो रहे हैं और किसान को सीधा नुकसान हो रहा है. व्यापारी की मानें तो 1100 रुपये में धान खरीद के बोद लोडिंग में प्रति क्विंटल 10 रुपया व उसके बाद ट्रक का 70 रुपया किराया लगता है. यानी प्रति क्विंटल भाड़ा करीब 80 से 90 रुपया खर्च होता है. जबकि लाभ चार से पांच सौ के आसपास प्रति क्विंटल बचत हो जाती है.

यहां के व्यापरी ही पहुंचाते धान

पश्चिम बंगाल की विभिन्न मंडी में धान लेने के लिए बंगाल के व्यापारी नहीं आते हैं. बल्कि, यहीं के व्यापारी यह धंधा चला रहे हैं. जानकारी के मुताबिक जिले भर में करीब 200 से अधिक व्यापारी का सीधा संपर्क बंगाल के मंडी से हो गया है. यही व्यापारी किसान व छोटे व्यापारियों से धान खरीद कर स्टॉक करते हैं और सीधे ट्रक से बंगाल में उतारते हैं. इस पेशा में व्यापारी की कमाई लाखों में होती है. जबकि, किसान के साथ धान अधिप्राप्ति के तय लक्ष्य को सीधा नुकसान पहुंच रहा है.

Posted by : Thakur Shaktilochan

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