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जांच के दायरे से बाहर हैं बिहार में पानी के बड़े बोतल, सरकारी संस्था में नहीं होती है किसी भी ब्रांड के पानी की जांच

पानी के कारोबार में कितनी गुणवत्ता का पालन किया जा रहा है और उसका जन स्वास्थ्य पर कितना असर हो रहा है, इसकी जांच नहीं की जा रही.

पटना. राज्य में पानी का बड़ा कारोबार जांच के दायरे से बाहर है. घरेलू उपयोग के अलावा शादी व समारोहों में उपयोग किया जानेवाला 20 लीटर का पानी का बोतल बिना जांच के ही बाजार में उपलब्ध है.

इनका कारोबार करनेवाले न तो पानी की गुणवत्ता जांच करा रहे और नहीं इसकी कोई रिपोर्ट सरकार के पास उपलब्ध है. खाद्य संरक्षा विभाग के अधिकारी इन पानी के बोतलों पर हाथ तक इसलिए नहीं डालते क्योंकि इनकी जांच उनके दायरे से बाहर है.

जांच सिर्फ सील किये गये एक,दो और पांच लीटर तक के पानी के बोतलों की होती है. 20 लीटर के पानी का बोतल बिना सील होता है और यह धड़ल्ले से उपयोग किया जाता है. घरेलू उपयोग और शादी- विवाह के मौसम में बिना जांच के ही बिक रहे पानी के बोतल से लाखों का कारोबार हो रहा है.

खाद्य संरक्षा इकाई के पदाधिकारियों के कहना है कि पानी के इस कारोबार में कोई नियंत्रण नहीं है. उनके जांच के दायरे में सिर्फ सील किये गये पानी के बोतल ही आते हैं. आश्चर्य तो यह है कि बिहार में जितने भी पानी के कारोबारी हैं वह किसी भी सरकारी लैब से पानी की जांच नहीं कराते हैं.

पटना का लोक स्वास्थ्य संस्थान पानी की जांच के लिए सबसे प्रामाणिक सरकारी संस्था है. वहां पर किसी भी ब्रांड के पानी जांच नहीं होती. कोरोबारी निजी लैब में ही पानी की जांच कराकर उसकी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को सौंप देते हैं.

पानी के कारोबार में कितनी गुणवत्ता का पालन किया जा रहा है और उसका जन स्वास्थ्य पर कितना असर हो रहा है, इसकी जांच नहीं की जा रही.

Posted by Ashish Jha

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