पटना. राज्य में ऑर्गेन ट्रांसप्लांट का काम ठप पड़ा है. मरीज अपनी सुविधा के अनुसार दूसरे राज्यों में जाकर ट्रांसप्लाट करवा रहे हैं. ऐसे मरीजों को मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से राहत भी दी जा रही है.
राज्य में ऑर्गेन ट्रांसप्लाट का काम मुख्य रूप से इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में किया जाता है. पीएमसीएच में किडनी ट्रांसप्लांट का प्रशिक्षण जिस चिकित्सक को कराया गया उसे विभाग द्वारा सेवा से ही बर्खास्त कर दिया गया. इसके कारण पीएमसीएच में किडनी ट्रांसप्लांट का काम शुरू ही नहीं हो सका.
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना में सर्वाधिक ऑर्गेन ट्रांसप्लांट आरंभ किया गया है. यहां पर अभी तक 78 किडनी ट्रांसप्लांट, दो लीवर ट्रांसप्लांट और करीब 500 कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया जा चुका है.
स्थिति यह है कि मार्च के बाद से शुरू हुई कोरोना महामारी के बाद इस संस्थान में भी ट्रांसप्लांट का काम बंद है. संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ मनीष मंडल का कहना है कि ट्रांसप्लांट के लिए जो दवा दी जाती है उसके कारण मरीज की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है.
ऐसी स्थिति में किसी मरीज का ट्रांसप्लांट करना जोखिम भरा है. इधर राज्य के बाहर किडनी ट्रांसप्लांट करानेवाले रोगियों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा तीन-तीन लाख मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से दिया गया है.
नवंबर महीने में निदेशक प्रमुख की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय कमेटी द्वारा मनोज सिंह को पारस एचआरएमआइ में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए एक लाख की आर्थिक सहायता दी गयी.
उधर , सीवान के आशुतोष कुमार तिवारी और रंजना कुमारी को अहमदाबाद के इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिजीज एंड रिसर्च सेंटर, बीजे मेडिकल कॉलेज एंड सिविल अस्पताल, कैंपस असावा को दोनों मरीजों के किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तीन-तीन लाख रुपये स्वीकृत किये गये हैं.
इसी प्रकार एसजीपीजीआइ , लखनऊ को ब्रेन सर्जरी और कैंसर के लिए दो रोगियों को एक-एक लाख की आर्थिक सहायता दी गयी.
Posted by Ashish Jha