कृषि कानून के खिलाफ पिछले छह दिनों से जारी किसानों के प्रदर्शन के कारण राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में खुदरा सब्जी की कीमतों में तेजी आई है. क्योंकि किसानों के आंदोलन के कारण रेल और सड़क यातायात प्रभावित हुआ है इसके चलते बाजारों में सब्जियों की आमद प्रभावित हुई है.
दिल्ली में सब्जियों के दाम बढ़ने को लेकर दिल्ली के सब्जी विक्रेताओं ने बताया किया कि आपूर्ति कम होने के कारण, मौसमी सब्जियों के थोक मूल्य में 50 रुपये 100 रुपये की वृद्धि हुई है. सिंघू और टिकरी सीमा पर हुए ट्रैफिक गतिरोध के कारण पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर से सब्जियों और फलों की आपूर्ति को बुरी तरह प्रभावित हुई है.
सब्जी आपूर्तिकर्ताओं ने बताया कि सीमा पर अवरोधक होने के कारण यह ट्रकों के लिए दिल्ली में प्रवेश करने के काफी समय लग रहा है. इसके कारण कई घंटों की देरी हो रही है. उन्होंने चिंता जताई कि अगर सीमाएं जल्द ही नहीं खोली गई तो इसका और असर पड़ेगा. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यापारियों ने हाल ही के दिनों में कृषि उपज की घटती आपूर्ति के मद्देनजर सब्जियों और अन्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि की है.
सर्दियों के मौसम में, अमृतसर-होशियारपुर बेल्ट से मटर के औसतन 45 ट्रक एक दिन में आते हैं, लेकिन फिलहाल 15 ट्रक ही मटर आ पा रहे हैं. इसके कारण आपूर्ति बाधित हुई है और ट्रक के किराये में भी बढ़ोतरी हुई है. जो लगभग 10,000 रुपये प्रति ट्रक तक बढ़ गई है.
ईटी के मुताबिक फलों और सब्जियों के लिए एशिया के सबसे बड़े थोक बाजार दिल्ली की आजादपुर मंडी के सदस्य अनिल मल्होत्रा ने बताया कि मटर, आलू और बीन्स की कीमतें वर्तमान में स्थिर हैं, क्योंकि शुक्रवार-शनिवार को तेजी के बाद यह स्थिर है.
सफाल, मदर डेयरी फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स के बिजनेस हेड प्रदीप साहू ने कहा कि किसान आंदोलन की शुरूआत में आलू की कीमतों में पांच फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी पर अब मंगलवार को मंडियों में माल वाहक के आगमन के साथ कीमतें गिरकर 42-45 रुपये प्रति किलो पर आ गई हैं.
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गौरतलब है कि मंगलवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करने वाले किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे तब तक जारी आंदोलन को स्थगित नहीं करेंगे, जब तक कि उन्हें कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने पर सरकार से स्पष्ट कटौती का आश्वासन नहीं मिल जाता. साथ ही, उन्होंने तीन कानूनों का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों के एक पैनल का गठन करने के लिए एक सरकारी योजना को खारिज कर दिया.
Posted By: Pawan Singh