प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे. उन्होंने प्रयागराज-वाराणसी 6 लेन हाइवे का लोकार्पण किया. 40 मिनट के भाषण में मोदी ने बनारस के दशहरी और लंगड़े आम से किसानों की बात शुरू की और कहते-कहते अपनी बात को कृषि कानूनों तक ले गये. किसानों पर उन्होंने 26 मिनट बात की. कहा कि एमएसपी और यूरिया के नाम पर छल करने वाले अब कृषि कानूनों पर झूठा डर दिखा रहे हैं. जो कभी होने वाला ही नहीं है, उसे लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है.
मोदी ने कहा- मैं काशी की पवित्र धरती से कहना चाहता हूं कि अब छल से नहीं, गंगाजल जैसी नीयत से काम किया जा रहा है. भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई देश के सामने आ रही है. आज जिन किसानों को कृषि सुधारों पर शंकाएं हैं, वे भी भविष्य में इनका लाभ उठायेंगे. अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन को ठीक समझता है तो उस पर भी कहीं कोई रोक नहीं लगी. नया कानून किसानों के लिए फायदेमंद है. इसमें किसानों को और आजादी दी गयी है.
1. जो हुआ ही नहीं, उसे लेकर भ्रम फैलाया जा रहा
सरकार कानून बनाती है तो इसे समर्थन और विरोध दोनों मिलता है. पहले सरकार का फैसला किसी को पसंद नहीं आता था, विरोध होता था. अब प्रचार किया जाता है कि फैसला ठीक है, लेकिन आगे चलकर न जाने क्या होगा. जो नहीं होगा, उसे लेकर समाज में भ्रम फैलाया जा रहा है. 24X7 उनका यही काम है.
ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ छल किया. पहले सालों तक MSP के नाम पर छल किया गया. छोटे और सीमांत किसानों तक फायदा नहीं पहुंचता था. कर्जमाफी के नाम पर छल किया गया.किसानों के नाम पर बड़ी योजनाएं बनती थीं, लेकिन वे मानते थे कि किसानों तक 15 पैसे पहुंचते थे. बहुत सब्सिडियां दी जाती थीं, लेकिन इनमें भी छल होता था. किसानों की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए कहा गया. किसी की प्रोडक्टिविटी किसी और के लिए सुनिश्चित की गयी.
जब छल का इतिहास रहा हो तब दो बातें स्वभाविक है. पहला- किसान सरकार की बातों तक आशंकित रहता है तो इसके पीछे छल का इतिहास है. दूसरा- जिन्होंने वादे तोड़े, उनके लिए झूठ फैलाना सामान्य सी बात है. ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो सच सामने आ जाता है. हमने कहा था कि यूरिया की कमी नहीं होने देंगे. पहले इसके लिए रात-रातभर की लाइन लगती थी.
2014 के पहले पांच साल में पूरे देश में 650 करोड़ की दाल खरीदी गयी. हमारे पांच सालों में 49 हजार करोड़ की दालें MSP पर खरीदी यानी इसमें 75 गुना बढ़ोतरी है. पहले की सरकार ने MSP पर 2 लाख करोड़ का धान खरीदा, हमने MSP के जरिए 5 लाख करोड़ किसानों तक पहुंचा दिए. उनकी सरकार ने पांच साल में MSP पर 1.5 लाख करोड़ का गेहूं खरीदा, जबकि हमने 3 लाख करोड़ का. अगर मंडियों को ही खत्म करना था तो फिर हमने उन्हें इतना मजबूत क्यों बनाया?
Also Read: UP Corona Update: योगी सरकार ने जिलों में फिर से नाइट कर्फ्यू व धारा 144 के दिए निर्देश, सर्विलांस टीम करेगी प्रत्येक मकान की सघन निगरानी
ये लोग अफवाह फैलाते थे कि चुनाव है, इसलिए मोदी 2 हजार रुपये दे रहा है. एक राज्य ने तो यहां तक कह दिया कि हमें 2 हजार रुपये चाहिए ही नहीं. एक राज्य ने ये पैसा किसानों की जेब जाने नहीं दिया. मैं उस राज्य के लोगों से कहना चाहता हूं कि वहां हमारी सरकार बनेगी तो ये पैसा किसानों को जरूर दूंगा. अब तक एक हजार करोड़ सीधा किसानों के खाते में पहुंच चुका है.
आज काशी को आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का एक और उपहार मिल रहा है. इसका लाभ काशी के साथ ही प्रयागराज के लोगों को भी होगा. मुझे याद है 2013 में मेरी पहली जनसभा इसी मैदान पर हुई थी और तब यहां से गुजरने वाला हाइवे 4 लेन का था. बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद ये हाइवे 6 लेन का हो चुका है. 70 किमी का ये सफर अब आराम से होगा. नया हाइवे बनाना हो, पुल बनाना हो, रास्तों को चौड़ा करना हो, बनारस के इलाको में अभी हो रहा है, उतना आजादी के बाद कभी नहीं हुआ. बनारस का सेवक होने के नाते मेरा प्रयास यही है कि यहां के लोगों का जीवन आसान हो.
सरकार के प्रयासों से किसानों को कितना फायदा है, इसका सबसे अच्छा उदाहरण चंदौली का काला चावल है. बेहतरीन काला चावल 300 रुपये किलो तक बिक रहा है. पहली बार ऑस्ट्रेलिया को ये चावल निर्यात हुआ है, वो भी 850 प्रति किलो में. इस कामयाबी को देखते हुए इस बार करीब एक हजार किसान काले चावल की खेती कर रहे हैं. किसानों को एकजुट कर उन्हें फायदा देने के प्रयास जारी हैं. फसल बीमा योजना से देश के 4 करोड़ किसानों की मदद हुई है. करीब 77 हजार करोड़ के सिंचाई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.
बतौर पीएम संसदीय क्षेत्र में उनका यह 23वां दौरा है, जबकि दूसरे कार्यकाल में वे तीसरी बार यहां पहुंचे. आखिरी बार वे 16 फरवरी को काशी आये थे. पीएम मोदी पहली बार देव दीपावली (कार्तिक पूर्णिमा) पर बनारस आये
Posted by: Thakur Shaktilochan