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लगन शुरू होते ही बिहार में दूध की मांग में बढ़ोतरी, पर आपूर्ति में भारी कमी

मांग में ढाई गुना की वृद्धि पर 30 प्रतिशत तक घटी दूध की आपूर्ति, 33 प्रतिशत समितियों से नहीं पहुंच रहा दूध

बिहारशरीफ : लगन शुरू होते ही जिले के डेयरी में दूध की आपूर्ति 30 फीसदी तक घट गयी है. वहीं नालंदा सुधा डेयरी से आम दिनों के अपेक्षा दूध की मांग में ढाई गुणा की वृद्धि हो गयी है. शहर के कई सुधा बूथों पर लोगों को दूध व दूध उत्पादित सामग्री नहीं मिल रही हैं. रविवार की देर शाम को तो कई सुधा के बूथों पर निर्धारित दर से अधिक कीमत पर दूध बेचते देखे गये.

कोरोना संक्रमण, धनकटनी, ठंड के बाद वैवाहिक कार्यक्रमों के दौर ने पूरी तरह से दूध कारोबार को प्रभावित कर दिया है. यूं तो जिले में गत अगस्त माह से लगातार दूध उत्पादन क्षमता में गिरावट आ रही है, जो वर्तमान में थमता नहीं दिख रहा है. बिहारशरीफ, एकंगरसराय, बेन, मुराढ़ी, सरमेरा एवं बरबीघा के संग्रह केंद्रों में जिले के किसानों का दूध जमा होता है, जिसका प्रतिदिन का संग्रह क्षमता करीब 84 हजार लीटर का है, जिसमें रविवार को महज 18 हजार 600 लीटर दूध पहुंचा है.

हालांकि इसके अलावा फतुहा और दनियावां के संग्रह केंद्रों के माध्यम से नालंदा के दूध पटना प्रतिदिन करीब 1000 से 1500 लीटर जा रहा है. फिर भी मांग के हिसाब से दूध की आपूर्ति काफी कम है. वर्तमान में नालंदा डेयरी से प्रतिदिन करीब एक लाख 30 हजार लीटर दूध की मांग है.

आम दिनों में प्रतिदिन नालंदा डेयरी से 45 से 50 हजार लीटर दूध की खपत थी. जिसमें एकाएक दो-चार दिनों से ढाई गुणा से अधिक की बढ़ोतरी हुई है. इसके बावजूद राज, अमूल्य, स्वास्तिक, पटना डेयरी समेत सीधे पशुपालकों से भी दूध की आपूर्ति की जा रही है.बावजूद दूध की आपूर्ति पूरी होते नहीं दिख रही है.

लेट से पहुंच रहा सुधा बूथों पर दूध : गत पांच दिनों से जिले के सुधा बूथों पर लेट से दूध व दूध उत्पादित सामग्री की सप्लाइ हो रही है. इसके दो कारण हैं एक तो पटना डेयरी से लेट से दूध बिहारशरीफ के लिये भेजा जा रहा है. दूसरा प्रमुख कारण लगातार पटना-बिहारशरीफ मार्ग जाम रहने के कारण सुधा का दूध दिन के 12 से एक बजे के बीच पहुंच रहा है. मजबूरन नालंदा डेयरी पर निर्भर रहना पड़ रहा है, लेकिन नालंदा डेयरी भी मांगों को पूरा नहीं कर पा रहा है.

दूध संग्रह केंद्रों की प्रतिदिन की क्षमता व उपलब्धता

दूध संग्रह केंद्र संग्रह करने की क्षमता उपलब्धता (लीटर में)

  • बिहारशरीफ 20 हजार लीटर आठ हजार लीटर

  • एकंगसराय 10 हजार लीटर चार हजार लीटर

  • बेन 10 हजार लीटर 35 सौ लीटर

  • मुराढ़ी 15 हजार लीटर दो हजार लीटर

  • सरमेरा सात हजार लीटर आठ सौ लीटर

  • बरबीघा 15 हजार लीटर आठ सौ लीटर

प्रतिदिन 800 किलो पनीर की हो रही आपूर्ति

शादियों के आयोजन को लेकर सुधा का पनीर, मिठाई, रसगुल्ला, गुलाब जामुन, चमचम, सुधा स्पेशल राबड़ी, फ्लेवर मिल्क जैसे प्रोडक्ट की मांग में काफी तेजी आयी है, नतीजा इन चीजों की घोर किल्लत हो गयी है.

इन सभी चीजों की चार से पांच हजार किलो प्रतिदिन मांग है. जिले में सबसे अधिक आठ सौ किलो पनीर की प्रतिदिन आपूर्ति हो रही है. शेष की बात करें तो मांग की 30 से 40 फीसदी प्रोडक्ट की आपूर्ति की जा रही है. नालंदा डेयरी फिलहाल जिले में करीब 100 बिक्री केंद्रों के माध्यम से अपने उत्पादन लोगों तक पहुंचा रहा है.

33 प्रतिशत समितियों से संग्रह केंद्र पर नहीं पहुंच रहा दूध

जिले के किसानों से दूध संग्रह के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में 1200 समितियां गठित हैं, जिसमें 700 से 800 समितियों के द्वारा वर्तमान में दूध संग्रह केंद्र तक पहुंच रहा है. यानी 33 फीसदी समितियों से संग्रह केंद्र तक दूध नहीं पहुंच रहा है. शुरुआती लॉकडाउन के कारण मवेशियों का चारा महंगा हो गया था.

होटल, मिठाई व चाय दुकानों में दूध की खपत बंद हो गयी थी. इसके कारण किसानों ने अपने मवेशियों को अनाज देना बंद कर दिया था. नतीजतन मवेशियों के दूध उत्पादन क्षमता में कमी हो गयी है. दूसरी ओर अब धनकटनी और ठंड के कारण हरा चारा के अभाव में मवेशियों का दूध उत्पादन क्षमता में गिरावट होने की आशंका व्यक्त की जा रही है.

15 से 20 दिसंबर तक हरा चारा होने और तापमान में गर्मी आने पर 10 से 15 फीसदी दूध उत्पादन में बढ़ोतरी का संभावना जतायी जा रही है. फिलहाल 84 हजार लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले छह संग्रह केंद्रों में आम दिनों में करीब 40 हजार लीटर दूध पहुंचता था, जो वर्तमान में 18 हजार 600 लीटर के आस पास पहुंच रहा है. यह संग्रह केंद्रों की क्षमता के महज 23 फीसदी से भी कम है.

Posted by Ashish Jha

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