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बिजली कंपनियों में 127.80 करोड़ की गड़बड़ी पर सीएजी को नहीं मिला जवाब

झारखंड के प्रधान महालेखाकार (सीएजी) ने बिजली कंपनियों द्वारा पिछले 14 वर्षों में 127.80 करोड़ रुपये की गड़बड़ियों पर मांगा जवाब

रांची : झारखंड के प्रधान महालेखाकार (सीएजी) ने बिजली कंपनियों द्वारा पिछले 14 वर्षों में 127.80 करोड़ रुपये की गड़बड़ियों पर जवाब मांगा है. अलग-अलग वर्षों में अलग-अलग राशि की गड़बड़ी हुई थी. जिसे प्रधान महालेखाकार द्वारा अपने अॉडिट में उल्लेख किया गया था. अॉडिट के बाद सरकार को रिपोर्ट भेज कर जवाब मांगी जाती है, लेकिन वर्ष 2006-07 के मामले में भी अबतक जवाब नहीं दिया गया है.

जवाब संबंधित विभाग के अधिकारियों को देना होता है. झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के समय से यह मामला चल रहा है. वर्ष 2015 में विद्युत बोर्ड का बंटवारा होकर चार कंपनियां भी बन गयी हैं. अब प्रधान महालेखाकार ने इन चारों कंपनियों के एमडी को पत्र भेज कर जवाब मांगा है. महालेखाकार द्वारा वर्ष 2006-07 से लेकर 2016-17 तक किये गये अॉडिट की सूची भी भेजी गयी है. जिसमें गड़बड़ियों का उल्लेख करते हुए जवाब मांगा गया है.

2006-07

झारखंड बिजली बोर्ड में टैरिफ, बिल व राजस्व संग्रहण

कंडक्टर की खरीदारी अधिक दर पर करने के कारण 1.49 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च

गलत आधार तिथि के कारण आपूर्तिकर्ता को 60.68 लाख रुपये अधिक का भुगतान

बिना किसी तत्काल आवश्यकता के वैगन टिपलर के प्रेषण के कारण 45.06 लाख रुपये के ब्याज की हानि, 1.18 करोड़ की राशि की गड़बड़ी

डायफ्राम के अविवेकपूर्ण प्राप्ति के कारण 29.61 लाख रुपये ब्याज की हानि

वर्ष 2007-08

ऊर्जा विकास एवं सुधार कार्यक्रम के कार्यान्वयन की विवरणी

संवेदक से अतिरिक्त लागत नहीं वसूलने के कारण 35.72 लाख रुपये की हानि

अग्निशमन प्रणाली लगाने में विलंब के कारण 5.64 करोड़ का खर्च बेकार हुअा, आग के कारण 41.11 करोड़ की हानि

आवश्यकता के आकलन के बिना बिजली द्वारा भूमिगत केबल का क्रय करने के निर्णय के कारण 2.35 करोड़ एवं सूद के रूप में 76.37 लाख रुपये की हानि

पावर ट्रांसफाॅर्मर के क्रय में हुए अतिरिक्त व्यय की वसूली में विफलता के कारण 47.67 लाख की वसूली नहीं हुई

ट्रांसफाॅर्मर तेल के क्रय आदेश जारी करने में विलंब कारण 31.54 लाख रुपये अतिरिक्त भुगतान की गयी

2008-09

झारखंड बिजली बोर्ड द्वारा राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के क्रियान्वयन पर अॉडिट जांच

2009-10

झारखंड में विद्युत उत्पादन उपक्रम

कंप्यूटरीकृत बिल में सूचनाओं के अभाव में 1.36 करोड़ रुपये का अनावश्यक व्यय

2011-12

डीसीएम नियंत्रक काडर्स की प्राप्ति में देरी के कारण उत्पादन की हानि

2012-13

अनुपयुक्त नियोजन की वजह से 85.23 लाख रुपये राशि की हानि

2013-14

झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा अल्पावधि ऊर्जा क्रय पर रिपोर्ट

2015-16

झारखंड बिजली वितरण निगम द्वारा संचरण प्रणाली के बगैर संचरण पर 31.19 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय

झारखंड बिजली वितरण निगम द्वारा ठेकेदारों के बिल से आयकर और कार्य अनुबंध कर की कटौती नहीं की गयी और अपनी निधि से उस राशि को जमा किया. इस कारण 15.31 करोड़ रुपये की हानि हुई.

झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम 1952 के प्रावधानों के अनुपालन में विफल रहते हुए िवत्तीय वर्ष में 1.27 करोड़ रुपये का व्यर्थ व्यय किया गया.

2016-17

झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड द्वारा सिकिदिरी हाइडल प्रोजेक्ट पर 22.79 करोड़ रुपये के ऊर्जा उत्पादन की हानि

posted by : sameer oraon

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