झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में सजायाफ्ता पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की ओर से दायर अपील याचिका पर सुनवाई की. अदालत ने कारा महानिरीक्षक व बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार होटवार के जेल अधीक्षक के शोकॉज के जवाब को देखा. उक्त अधिकारियों ने अदालत द्वारा छह नवंबर को जारी शोकॉज का जवाब 23 नवंबर को पत्र के जरिये दिया है.
सुनवाई के दौरान सीबीआइ के अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत को बताया कि जेल में रहते हुए लालू प्रसाद पर फोन से बिहार के विधायक ललन पासवान से बात करने का मामला अखबारों में प्रमुखता से छपा है. पटना में प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है. लालू प्रसाद रिम्स में मिल रही सुविधा का दुरुपयोग कर रहे हैं. जेल मैनुअल का उल्लंघन हो रहा है.
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रिम्स व जेल की रिपोर्ट पर असिस्ट करने के लिए महाधिवक्ता, अधिवक्ता नियुक्त करें : हाइकोर्ट
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चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में सजा को लालू प्रसाद की ओर से दी गयी है चुनाैती
इसके बाद प्रशासन ने लालू प्रसाद को रिम्स निदेशक के केली बंगला से वापस वार्ड में शिफ्ट कर दिया है. इस पर अदालत ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है.अदालत ने शोकॉज के जवाब को देखते हुए कहा कि सीबीआइ तो एजेंसी है, लेकिन प्रॉसिक्यूटर राज्य सरकार है. राज्य सरकार का कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं है.
रिम्स व जेल की रिपोर्ट पर अदालत को असिस्ट करने के लिए महाधिवक्ता से सरकारी अधिवक्ता को नियुक्त करने को कहा गया. आदेश की प्रति महाधिवक्ता को ई-मेल, फैक्स आदि से भेजने का निर्देश दिया गया. मामले की अगली सुनवाई चार दिसंबर को होगी.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी लालू प्रसाद ने क्रिमिनल अपील याचिका दायर कर सीबीआइ अदालत के सजा संबंधी आदेश को चुनाैती दी है. सीबीआइ की विशेष अदालत ने चारा घोटाला के आरसी-68ए/96 (चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी) के मामले में लालू प्रसाद को पांच साल की सजा सुनायी थी.