22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बेमिसाल बच्चन: जब ‘भूल तुम सुधार लो’ कहने वाले हरिवंश राय ने लिखा- ‘उस पार न जाने क्या होगा?’

Birth Anniversary of Dr Harivansh Rai Bachchan: हरिवंश राय बच्चन. हिंदी के कवि. उनका परिचय इतना ही है, 'मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन मेरा परिचय'. मधुशाला के जरिए हरिवंश राय बच्चन हिंदी के एक महान कवि बन गए. हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 में इलाहाबाद के नज़दीक प्रतापगढ़ के अमोढ़ गांव में हुआ था.

हरिवंश राय बच्चन. हिंदी भाषा के बेमिसाल कवि. उनका परिचय इतना ही है, ‘मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन मेरा परिचय’. मधुशाला के जरिए हरिवंश राय बच्चन हिंदी के एक महान कवि बन गए. हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 में इलाहाबाद के नजदीक प्रतापगढ़ के अमोढ़ गांव में हुआ था. घरवाले प्यार से उन्हें बच्चन कहते थे. मधुशाला में उन्होंने खुद की परिवरिश के बारे में लिखा था- मैं कायस्थ कुलोदभव, मेरे पुरखों ने इतना ढाला, मेरे तन के लोहू में है, पचहत्तर प्रतिशत हाला, पुश्तैनी अधिकार मुझे है, मदिरालय के आंगन पर, मेरे दादों परदादों के हाथ, बिकी थी मधुशाला.

Also Read: हमने गालिब नहीं राहत साहब को देखा है, अपने हिस्से के राज़ हमें सौंपकर मकबूल शायर ने कहा अलविदा…
पोलैंड में हरिवंश राय के नाम पर चौराहा

कुछ दिनों पहले ही पोलैंड के व्रोकलॉ शहर में एक चौराहे का नाम हरिवंश राय बच्चन के नाम पर रखा गया है. दरअसल, अपनी लेखनी से वो कम समय में ही दुनियाभर में जाना-पहचाना नाम बन गए थे. इलाहाबाद में रहते हुए उनकी लेखनी में मानवीय संवेदनाएं झलकने लगी थी. आधी से ज्यादा जिंदगी किराए के घर में रहने में गुजारने वाले हरिवंश राय लोगों की तकलीफ को शब्दों में उतारते थे. साल 1929 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने एमए में एडमिशन लिया. लेकिन, 1930 के असहयोग आंदोलन के चलते पढ़ाई बीच में छोड़ दी. हालांकि, साल 1938 में वो एमए करने के बाद कैम्ब्रिज चले गए.

श्यामा से शादी और कविताओं में संवेदना 

कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही उनकी शादी श्यामा से हो गई थी. लेकिन, उन दोनों का साथ कुछ वक्त के लिए ही रहा. श्यामा की मौत के बाद हरिवंश राय बच्चन दुखी रहने लगे थे. जब श्यामा की तबियत खराब थी तो उन्होंने एक कविता लिखी थी- रात आधी खींच कर मेरी हथेली, एक उंगली से लिखा था प्यार तुमने. इस कविता ने हरिवंशराय बच्चन को काफी शोहरत दिलाई. मधुशाला भी उनकी लोकप्रियता बढ़ाने में पीछे नहीं हटी. 24 जनवरी 1942 में हरिवंश राय बच्चन ने तेजी बच्चन से दूसरी शादी की थी.

Also Read: संपूर्ण सिंह कालरा से शब्दों के जादूगर गुलजार बनने का सफर, एक मैकेनिक जो बन गया गीतकार…
अंग्रेजी के लेक्चरर और हिंदी भाषा क‍े कवि

1941-1952 तक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के लेक्चरर के साथ वो ऑल इंडिया रेडियो से भी जुड़े रहे. उन्होंने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ के रूप में काम भी किया था. अंग्रेजी के ज्ञाता हरिवंश राय बच्चन की हिंदी पर गजब पकड़ थी. कहा जाता है कि श्यामा की मौत और तेजी से शादी को उन्होंने हमेशा कविता में जगह दी. उन्होंने लिखा था कि- बीता अवसर क्या आएगा, मन जीवन भर पछताएगा, मरना तो होगा ही मुझको, जब मरना था तब मर न सका, मैं जीवन में कुछ न कर सका.


कवि, राज्यसभा सदस्य और अवॉर्ड विनर

हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा क्या भूलूं क्या याद करूं, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर और दशद्वार से सोपान तक में उनकी शानदार लेखनी दिखती है. हरिवंश राय बच्चन को सबसे बड़ी प्रसिद्धि 1935 में मिली, जब उनकी किताब मधुशाला छपकर आई. 1966 में वो राज्य सभा के सदस्य रहे. उन्हें 1968 में साहित्य अकादमी अवॉर्ड तो 1976 में पद्म भूषण से नवाजा गया. 18 जनवरी 2003 में मुंबई में हरिवंश राय बच्चन ने आखिरी सांस ली. उनके पुत्र अमिताभ बच्चन बॉलीवुड के महानायक हैं.

Also Read: गीता दत्त, शराब और जिंदगी: ‘वक्त के हसीं सितम’ से ‘सुंदर सपना’ की तरह टूटने वाली बेमिसाल सिंगर
युवाओं को हौसला देने वाले लोकप्रिय कवि  

हरिवंश राय बच्चन ने हमेशा अपनी कविताओं से युवाओं को संदेश दिया. उन्होंने प्रेम कविताओं की एक नई पद्धति विकसित की, जिसमें प्यार, दुलार के साथ सलाह भी छिपी होती थी. हताश युवाओं को संदेश देने के लिए उन्होंने एक कविता में लिखा थी- जीवन में एक सितारा था, माना वह बेहद प्यारा था, वह डूब गया तो डूब गया, अम्बर के आनन को देखो, कितने इसके तारे टूटे, कितने इसके प्यारे छूटे, जो छूट गए फिर कहां मिले, पर बोलो टूटे तारों पर, कब अम्बर शोक मनाता है, जो बीत गई सो बात गई.

समाज में चेतना और हरिवंश राय की कविताएं

मधुबाला, मधुकलश और मधुशाला के जरिए हरिवंश राय बच्चन ने समाज में एक नई चेतना फैलाई थी. मधुशाला में शराब और मधुशाला के जिक्र से उन्होंने समाज को गहरा संदेश दिया था. मधुशाला की कुछ पंक्तियां हैं- मुसलमान और हिन्दू हैं दो, एक, मगर, उनका प्याला, एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला, दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते, बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर, मेल कराती मधुशाला. मधुशाला के जरिए हरिवंश राय बच्चन ने सामाजिक एकता का संदेश दिया.

Also Read: जन्मदिन विशेष: मोहब्बत के शायर मजाज़ लखनवी, लफ्ज़ों में खोजते रहे अधूरे इश्क की मुकम्मल नज़्म…
हिंदी कविता के इतिहास में एटीट्यूड वाले कवि

हिंदी कविता में हरिवंश राय के एटीट्यूड और फिलॉसफी का हर कोई कायल है. कविता से उन्होंने संवेदनाओं के साथ ही जिंदगी की सच्चाई से दुनिया को रूबरू कराया. इस पार, उस पार कविता में जिंदगी के लिए उन्होंने लिखा था-मैं आज चला तुम आओगी, कल, परसों, सब संगी-साथी, दुनिया रोती-धोती रहती, जिसको जाना है, जाता है. मेरा तो होता मन डगडग मग, तट पर ही के हलकोरों से. जब मैं एकाकी पहुंचूंगा, मंझधार न जाने क्या होगा. इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा.

Posted : Abhishek.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें