पटना. 17वीं बिहार विधानसभा के नये अध्यक्ष को लेकर तीसरी बार सदन में मतविभाजन होगा. सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सर्वानुमति नहीं बनने के कारण सदन के इतिहास में यह तीसरा मौका है जब अध्यक्ष के मत के लिए मतदान होगा. इससे पहले दो बार विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए बिहार विधानसभा मतदान हो चुका है. पिछली बार 51 साल पहले मतदान हुआ था.
इस बार भाजपा के विजय कुमार सिन्हा सत्ता पक्ष की ओर से उम्मीदवार हैं. विपक्ष ने राजद के अवध बिहारी चौधरी को मैदान में उतारा है. दोनों में कौन अगला विस अध्यक्ष होगा, यह फैसला तो दोपहर साढ़े ग्यारह बजे के बाद होगा.
लेकिन पिछले दो मतदानों में सत्ता पक्ष के उम्मीदवार ही विजय हुए थे और इस बार भी सत्ता पक्ष का पलड़ा भारी लग रहा है. 1967 और 1969 में पक्ष-विपक्ष के मतों के आधार पर सदन में अध्यक्ष पद पर निर्णय हुआ था. इस बार भी सदन में मतों का अंतर इसी आधार पर माना जा रहा है.
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1967 में 16 मार्च को कार्यकारी अध्यक्ष दीप नारायण सिंह ने अध्यक्ष पद के लिए 9 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव देने की सूचना सदन को दी थी. सत्तापक्ष की ओर से छह प्रस्ताव थे, जिनमें एक का प्रस्ताव सच्चिदानंद सिंह की ओर से सदन में रखा गया. उन्होंने धनिक लाल मंडल का नाम अध्यक्ष पद के लिए सदन के सामने रखा.
श्रीकृष्ण सिंह ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया. विपक्ष की ओर से सनाथ राउत ने प्रस्ताव रखा कि विधानसभा के अध्यक्ष पद पर हरिहर प्रसाद सिंह चुने जाएं. किशोरी प्रसाद ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया. इसके बाद कार्यकारी अध्यक्ष दीप नारायण सिंह ने सदन के समक्ष प्रश्न रखा-प्रश्न यह है कि धनिक लाल मंडल विधानसभा अध्यक्ष चुने जाएं.
उसके बाद सभा ‘हां’ और ‘ना’ में विभक्त हुई. ‘हां’ के पक्ष में 171 जबकि ‘ना’ के पक्ष में 126 सदस्यों ने मत दिया और सदन में प्रस्ताव स्वीकृत हो गया. धनिक लाल मंडल विधानसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए.
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1969 में 11 मार्च को मतदान हुआ था. तब भी सदन में कार्यकारी अध्यक्ष के पास विस अध्यक्ष पद के लिए कुल छह प्रस्ताव आए थे. उनमें चार के वापस होने पर दो रह रह गये थे. इसके कारण मतदान कराना पड़ा था. उस समय हरिहर प्रसाद सिंह ने रामनारायण मंडल को अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव रखा, जगदेव प्रसाद ने इसका अनुमोदन किया.
वहीं कर्पूरी ठाकुर ने अध्यक्ष पद के लिए धनिक लाल मंडल के नाम का प्रस्ताव किया और इसका अनुमोदन राम अवधेश सिंह ने किया. रामानंद तिवारी ने भी इसका अनुमोदन किया, लेकिन सूची में नाम नहीं होने से उनका अनुमोदन स्वीकृत नहीं हुआ.
उसके बाद मतदान हुआ और राम नारायण मंडल को अध्यक्ष बनाये जाने के पक्ष में 155, जबकि विपक्ष में 149 वोट पड़े. हरिहर प्रसाद सिंह और भोला पासवान शास्त्री ने राम नारायण मंडल को विस अध्यक्ष के आसन तक ससम्मान लाकर उसपर बिठाया.
Posted by Ashish Jha