What is Roshni Act जम्मू-कश्मीर में इस समय एक घोटाले की चर्चा तेज हो गयी है. जिसकी जांच सीबीआई कर रही है. इस घोटाले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का भी नाम सामने आ रहा है. हालांकि उन्होंने इसे बेबुनियाद बताया है. अब केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी फारूक अब्दुल्ला पर गंभीर आरोप लगा दिया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, 1998 में 3 कनाल जमीन खरीदने के दौरान, फारूक अब्दुल्ला ने 7 कनाल भूमि पर अतिक्रमण किया, जो कि वन भूमि और राज्य भूमि थी.
रविशंकर प्रसाद ने इसे शक्तिशाली लोगों द्वारा बड़ी भूमि लूट बताया. केंद्रीय मंत्री ने कहा, हाईकोर्ट द्वारा असंवैधानिक घोषित किए गए रोशन अधिनियम के तहत उन्हें लाभ मिला. आइये जानते हैं पहले की आखिर रोशनी कानून क्या है?
दरअसल इस स्कीम का वास्तवीक नाम जम्मू और कश्मीर राज्य भूमि एक्ट 2001 था, जिसे रोशनी स्कीम के नाम से भी जाना गया. इस कानून के अनुसार राज्य सरकार मामूली कीमतें तय कर वैसे लोगों को जमीन पर स्थायी कब्जा दिया जा रहा था. जिसने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर रखा था. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि सरकारी जमीनों पर गैर कानूनी कब्जों को कानूनी तौर पर मालिकाना हक दिया जा रहा था.
ऐसे पड़ा रोशनी एक्ट नाम
यह कानून फारूक अब्दुल्ला सरकार के समय बनी थी, जिसमें कहा गया था कि जमीनों के कब्जों को कानूनी किए जाने से जो फंड जुटेगा, उससे राज्य में पावर प्रोजेक्ट का काम किया जाएगा. इसी के चलते इस कानून का नाम रोशनी रखा गया. यह कानून मार्च 2002 में लागू किया गया.
सीबीआई ने तीन मामले दर्ज किए
सरकारी अधिकारियों के साथ साठगांठ कर जम्मू कश्मीर में कथित भूमि कब्जा करने के संबंध में सीबीआई ने तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं. इसमें केंद्र में सचिव स्तर का एक अधिकारी भी जांच के घेरे में हैं. जांच पहले राज्य सतर्कता संगठन कर रहा था और जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई ने जांच का जिम्मा अपने हाथों में लिया.
आरोप है कि जम्मू जिला के राजस्व विभाग के अधिकारियों ने रोशनी कानून के तहत तय प्रावधानों और अन्य नियमों की अवहेलना करते हुए जानबूझकर निजी लोगों को फायदे पहुंचाए. इस तरह राज्य की जमीन के मालिकाना हक गलत तरीके से अयोग्य लोगों को दिए गए और इससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा.