पटना : राज्य में अवैध ढंग से चल रहे पैथोलॉजी सेंटरों के खिलाफ अब तक कहां क्या कार्रवाई की गयी है, इसका ब्योरा हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से 22 दिसंबर तक मांगा है.
चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिस्ट एंड माइक्रो – बायोलॉजिस्ट की ओर से दायर जनहित याचिका को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता शमशुल हौदा ने बताया की बिहार में अब भी हजारों की तादाद में अवैध पैथोलैब चल रहे हैं. राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि हाइकोर्ट के पिछले आदेशों के अनुपालन में सरकार ने जिलावार वैध और अवैध पैथोलॉजिस्ट केंद्रों की सूची प्रकाशित कर प्रत्येक सिविल सर्जन को यह निर्देश दिया था कि वह अवैध पैथो लैब सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई करे.
साथ ही सरकार ने यह भी निर्देश दिया था कि जनता को वैध पैथो सेंटरों से ही जांच कराने के लिये रेडियो, अखबार और इंटरनेट के माध्यम से प्रचार- प्रसार कर आम जनता को जागरूक किया जाये.
राज्य सरकार की ओर से यह भी बताया गया कि पूर्व में भी समय समय पर सरकार की तरफ से अवैध केंद्रों पर की गयी कार्रवाई का ब्योरा कोर्ट को प्रस्तुत किया गया है. इस मामले में बिहार एलाइड एंड हेल्थ केयर प्रोफेशनल कानून बनाने के लिये बिल ड्राफ्ट हो चुका है.
जिसे सामान्य प्रशासन और विधि विभाग से मंजूरी भी मिल चुकी है. वर्तमान में यह वित्त विभाग के विचाराधीन है. हाइकोर्ट ने इन सभी बिंदुओं के आलोक में भी राज्य सरकार से विस्तृत ब्योरा मांगा.
विधेयक के संबंध में फरवरी में महाधिवक्ता ललित किशोर एवं स्वास्थ्य विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को आश्वासन दिया था कि अवैध पैथोलाॅजिकल केंद्रों पर अंकुश लगाने के लिये सरकार जल्द ही कानून ला रही है. अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी.
Posted by Ashish Jha