रांची : झारखंड विधानसभा के स्पीकर ने दल-बदल मामले की सुनवाई सोमवार को शुरू कर दी. उन्होंने झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के सिंबल पर जीतकर सदन में पहुंचे तीन विधायकों बाबूलाल मरांडी, बंधु तिर्की और प्रदीप यादव को 17 दिसंबर को पूरी तैयारी के साथ आने के लिए कहा. स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने जेवीएम के तीन विधायकों में से एक के भाजपा और दो के कांग्रेस में शामिल होने के फैसले को दल-बदल का मामला माना है.
इसी मामले में तीनों विधायकों को स्पीकर ने नोटिस भेजा था. इस मामले में सोमवार को जेवीएम सुप्रीमो रहे बाबूलाल मरांडी को, जो अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं, की तरफ से उनके वकील स्पीकर की कोर्ट में पेश हुए. बाबूलाल के वकील ने स्पीकर को बताया कि उनके मुवक्किल ने न्यायाधिकरण के नोटिस को झारखंड हाइकोर्ट में चुनौती दे रखी है. इसलिए सुनवाई के लिए वक्त दिया जाये. इसके बाद स्पीकर ने 17 दिसंबर की तारीख तय कर दी.
बाद में बाबूलाल के वकील ने पत्रकारों को बताया कि उनके मुवक्किल ने 12 नवंबर, 2020 को स्पीकर के न्यायाधिकरण की ओर से जारी नोटिस को हाइकोर्ट में चुनौती दी थी. कोरोना प्रोटोकॉल एवं दीपावली व छठ की छुट्टियों की वजह से अब तक मामले की सुनवाई नहीं हो पायी है. जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तब तक स्पीकर की कोर्ट से समय की मांग की गयी. विधानसभा अध्यक्ष ने इस अर्जी को स्वीकार कर लिया और नयी तारीख दे दी.
दूसरी तरफ, जेवीएम से कांग्रेस में शामिल होने वाले बंधु तिर्की और प्रदीप यादव के वकील ने स्पीकर के समक्ष उनका पक्ष रखा. वकील ने कहा कि जेवीएम के 3 विधायक चुने गये थे. उनमें से 2 ने पार्टी का कांग्रेस में विलय किया. यह संविधानसम्मत है. दोनों विधायकों के वकील ने साथ ही ये भी कहा कि चुनाव आयोग ने स्पीकर को जिम्मेवारी सौंपी है कि वे तय करें कि जेवीएम छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले 2 विधायक किस पार्टी के हैं.
बंधु और प्रदीप के वकील ने स्पीकर की कोर्ट में वर्ष 2014 में जेवीएम विधायकों के भाजपा में शामिल होने के मामले का उदाहरण दिया. कहा कि उस वक्त जेवीएम के 8 में से 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गये थे. तब भी स्पीकर ने इसे दल-बदल नहीं माना था. तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने दो तिहाई विधायकों के भाजपा में शामिल होने को वैध माना था. इस बार भी वैसा ही हुआ है. इसलिए इसे दल-बदल करार नहीं दिया जाना चाहिए.
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उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में बाबूलाल मरांडी की अगुवाई वाली पार्टी झाविमो राज्य की सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. उसके 3 विधायक (बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की) चुनेे गये थे. चुनाव के बाद बाबूलाल मरांडी ने जेवीएम का भाजपा में विलय कर दिया, तो प्रदीप यादव एवं बंधु तिर्की ने पार्टी के कांग्रेस में विलय की घोषणा कर दी. चुनाव आयोग ने जेवीएम के भाजपा में विलय को सही ठहराया और स्पीकर को जिम्मेदारी दी कि प्रदीप और बंधु किस पार्टी के सदस्य माने जायेंगे, वही तय करें.
बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें विधायक दल का नेता चुना. इस नाते वह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी हुए, लेकिन स्पीकर ने उन्हें अब तक यह दर्जा नहीं दिया. फलस्वरूप विधानसभा की कार्यवाही नेता प्रतिपक्ष के बिना ही चल रही है. बाबूलाल को भाजपा विधायकों के साथ बैठने की भी अनुमति नहीं दी गयी है. इस मामले में स्पीकर ने बाबूलाल को नोटिस भेजा, तो उन्होंने उसे हाइकोर्ट में चुनौती दे डाली.
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Posted By : Mithilesh Jha