भाकपा-माले ने ऐक्टू सहित सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर आगामी 26 नवंबर को आयोजित देशव्यापी आम हड़ताल को समर्थन देने का फैसला लिया है. पार्टी नेताओं ने रविवार को कहा कि रिकाॅर्ड तोड़ बेरोजगारी व कमरतोड़ महंगाई, गुलामी के चार श्रम कोड कानूनों, कंपनी राज-निजीकरण और देश के संसाधनों को बेचने तथा संविधान व लोकतंत्र पर हमले के खिलाफ आयोजित यह देशव्यापी हड़ताल मोदी सरकार को करारा राजनीतिक जबाव होगा.
पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार सभी चार श्रम कोड कानूनों को अविलंब वापस लेने, कार्य दिवस 12 घंटा करने के आदेश रद्द करे. स्कीम वर्करों का सरकारी सेवक का दर्जा देने, समान काम के लिए समान वेतन का प्रावधान करने, निजीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाने आदि मांगों को अविलंब पूरा करने की मांग की है.
माले ने कहा कि बिहार में रोजगार व समान काम के लिए समान वेतन चुनाव में हमारा प्रमुख मुद्दा था. आने वाले दिनों में सम्मानजनक रोजगार और समान काम के लिए समान वेतन की मांग पर निर्णायक लड़ाई होगी.
साथ ही, यह भी कहा कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर आगामी 26-27 नवंबर को तीनों किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने की मांग पर देशव्यापी कार्यक्रम के तहत जिला,अनुमंडल,प्रखंड मुख्यालयों पर धरना का आयोजन किया जाना है.
26 नवंबर को सीटू सहित कई सेंट्रल ट्रेड यूनियन के आवाहन पर होने वाली देशव्यापी हड़ताल को ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन समर्थन देगी. फेडरेशन के महासचिव राजकुमार झा ने बिजली प्रसाद, सत्येंद्र कुमार, देवेंद्र तिवारी और पंकज मिश्रा के साथ रविवार को संयुक्त बयान जारी कर कहा कि सभी व्यवसायिक वाहनों का फरवरी से 31 दिसंबर 2020 तक का रोड टैक्स पूरी तरह माफ किया जाये. साथ ही, 31 जनवरी 2021 तक पटना में और 31 मार्च 2021 तक पूरे प्रदेश में डीजल चालित वाहनों का परिचालन बंद करने के आदेश को भी निरस्त करने की मांग की
Posted by : Thakur Shaktilochan