रांची : सात बार विधायक रह चुके नलिन सोरेन को उत्कृष्ट विधायक चुना गया है. इन्हें 22 नवंबर को झारखंड विधानसभा के स्थापना दिवस पर भगवान बिरसा मुंडा उत्कृष्ट विधायक के तौर पर सम्मानित किया जायेगा. वहीं विधानसभा के संयुक्त सचिव शिशिर कुमार झा, प्रशाखा पदाधिकारी सौमेन कुमार शील, पीए लक्ष्मी मछुआ, अनुसेवक मनोज कुमार व हेलेना कंडुलना को उत्कृष्ट विधानसभा कर्मी के तौर पर सम्मानित किया जायेगा.
इनके अलावा कोविड-19 के दौरान उल्लेखनीय कार्य करने को लेकर सिविल सर्जन रांची डॉ बीपी प्रसाद, रांची के तत्कालीन एडीएम लॉ एंड ऑर्डर अखिलेश कुमार सिन्हा व रिम्स की मुख्य नर्स राम रेखा राय को विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा. यह निर्णय गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो की अध्यक्षता में हुई विधायी उत्कृष्टता पुरस्कार चयन समिति की बैठक में लिया गया. बैठक में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम, मनोनीत विधायक ग्लेन जोसेफ गॉलस्टिन, विधानसभा के सचिव महेंद्र प्रसाद मौजूद थे.
स्पीकर ने बताया समारोह में 200 अतिथियों को आमंत्रित किया गया है. इसमें कोविड-19 के सभी नियमों का पालन किया जायेगा. इस दौरान 10वीं व 12वीं के टॉपर को भी सम्मानित किया जायेगा. साथ ही कोविड-19 के दौरान अच्छे काम करनेवाले पुलिसकर्मियों को भी सम्मानित किया जायेगा. इसके लिए गृह विभाग से नाम मांगे गये हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा के सभी सदस्य अच्छे हैं. उत्कृष्ट विधायक का चयन करना काफी कठिन काम है.
नलिन सोरेन ने शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट से सात बार विधायक रह चुके हैं. झारखंड विधानसभा में एक ही पार्टी और एक ही क्षेत्र से लगातार सात बार निर्वाचित होनेवाले नलिन सोरेन के अलावा कोई दूसरा विधायक नहीं हैं. झामुमो ने 1990 में डेविड मुर्मू का टिकट काट कर पहली बार नलिन सोरेन को प्रत्याशी बनाया था. 1990 के विधानसभा चुनाव में नलिन सोरेन निर्वाचित हुए. तब से अब तक लगातार इस सीट पर उनका कब्जा है.
2001 विशेश्वर खां, 2002 हेमलाल मुर्मू , 2003 राजेंद्र प्रसाद सिंह, 2004 लोकनाथ महतो, 2005 अन्नपूर्णा देवी, 2006 राधाकृष्ण किशोर, 2007 पशुपतिनाथ सिंह, 2008 इंदर सिंह नामधारी, 2010 जनार्दन पासवान, 2011 माधव लाल सिंह, 2012 रघुवर दास, 2013 लोबिन हेंब्रम, 2015 प्रदीप यादव, 2016 स्टीफन मरांडी , 2017 बिमला प्रधान व 2018 मेनका सरदार.
दुमका (आनंद जायसवाल). शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक नलिन सोरेन अपने मृदुभाषी व्यक्तित्व और कुशल व्यवहार की वजह इलाके में बेहद लोकप्रिय हैं. काठीकुंड में रहने वाले नलिन सोरेन के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी उनकी इस विशेषता के कायल हैं और प्रशंसा करते हैं.
यही वजह है कि सात बार से लगातार वे अपने इलाके में विधायक चुने जाते रहे. इस सीट को उन्होंने कभी झामुमो के खाते से बाहर नहीं जाने दिया. इसलिए पार्टी में भी उनकी पकड़ बेहद मजबूत व कद ऊंचा है. झामुमो के इस गढ़ में नलिन सोरेन को पछाड़ने के लिए भाजपा, जदयू और झाविमो ताल ठोकती रही, पर नलिन सोरेन की जमीनी पकड़ की वजह से अपने इरादों में ये कभी सफल नहीं हो सके.
नलिन सोरेन क्षेत्र से पहली बार 1990 में विधायक बने, तो उसके बाद उनके जीत का सिलसिला कभी थमा नहीं. बाद में 1995, 2000, 2005, 2009, 2014 और पिछले साल 2019 के चुनाव को वे जीतने में सफल रहे. वे कृषि व पशुपालन मंत्री रहे. विपक्ष में झामुमो रही, तो मुख्य सचेतक भी रहे और विपक्षी दल के नेता के रूप में अहम भूमिका निभायी.
posted by : sameer oraon