कोलकाता : पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के दो सबसे बड़ी झील रवींद्र सरोवर व सुभाष सरोवर में लोग इस बार छठ पूजा नहीं कर पायेंगे. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट एवं कलकत्ता हाइकोर्ट दोनों ने ही इन सरोवरों में छठ पूजा के आयोजन पर रोक के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया कि इसे लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) व हाइकोर्ट के आदेश बहाल रहेंगे. इन दोनों सरोवरों में पूजा आयोजित नहीं की जा सकेगी.
अलग-अलग मामलों की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन दोनों सरोवरों में पूजा के आयोजन पर प्रतिबंध लगाने के लिए एनजीटी व हाइकोर्ट ने जो भी आदेश दिये हैं, उनका पालन करना होगा. गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इन दोनों झीलों में छठ पूजा पर रोक लगाने के आदेश दिये थे. एनजीटी के 17 सितंबर के आदेश को चुनौती देते हुए केएमडीए ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
कोलकाता म्युनिसिपल डेवलपमेंट अथॉरिटी (केएमडीए) की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण के फैसले को बरकरार रखते हुए मामले में केएमडीए सहित सभी पक्षों को नोटिस जारी किया था. इसके बाद केएमडीए ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी. पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए तीन जजों की पीठ ने प्रतिबंध को बरकरार रखा है.
राज्य सरकार की ओर से कलकत्ता हाइकोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर की गयी थी, जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायाधीश संजीव बनर्जी व न्यायाधीश अनिरुद्ध राय ने किसी प्रकार की भी छूट देने से इनकार कर दिया. दो जजों की पीठ ने कहा कि इन दोनों झीलों में छठ पूजा के आयोजन को रोकने के लिए राज्य सरकार को हरसंभव कदम उठाने होंगे. जजों ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता है और इसके साथ समझौता नहीं किया जा सकता.
खंडपीठ ने एनजीटी के निर्देशों का अक्षरश: पालन करने का पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया. उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों केएमडीए ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण से महानगर के रवींद्र सरोवर व सुभाष सरोवर में छठ पूजा करने की अनुमति देने की अपील की थी. एनजीटी ने केएमडीए की अपील को खारिज कर दिया था और दोनों सरोवरों में किसी भी तरह के आयोजन पर प्रतिबंध को जारी रखा था.
हालांकि, हाइकोर्ट ने इन दो जलाशयों को छोड़कर नदी के घाटों व अन्य जलाशयों में छठ पूजा करने की अनुमति प्रदान की है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें रखी हैं. शर्तों का पालन करते हुए ही छठ पूजा का आयोजन किया जा सकेगा. छठ पूजा के दौरान भीड़ नियंत्रित करने व जलाशयों में प्रतिबंध लगाने के लिए दायर की गयी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट के ने कहा है कि छठ पूजा के दौरान प्रत्येक परिवार से अधिकतम दो लोग ही जलाशय में प्रवेश कर सकेंगे.
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हाइकोर्ट ने आगे कहा कि जहां-जहां भी छठ पूजा का आयोजन होता है, उन क्षेत्रों में राज्य सरकार को लगातार प्रचार अभियान चलाना होगा और लोगों को जागरूक करना होगा. हाइकोर्ट ने छठ पूजा के दौरान किसी भी प्रकार की शोभायात्रा निकालने व डीजे बजाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. छठ व्रती व परिवार के लोग सिर्फ खुले वाहन से घाटों व जलाशयों पर जा सकेंगे.
हाइकोर्ट ने कहा कि चूंकि सभी लोगों के जलाशय में प्रवेश पर रोक लगायी गयी है, इसलिए घाटों पर जाने वाले लोगों की संख्या भी सीमित रखनी होगी. हाइकोर्ट ने इन दिशा-निर्देशों से लोगों को अवगत कराने के लिए कोलकाता नगर निगम सहित अन्य नगर निगम व नगरपालिकाओं को अपने-अपने क्षेत्रों में अभियान चला कर प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया है.
Posted By : Mithilesh Jha