बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतने से उत्साहित एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अब पश्चिम बंगाल में सियासी जमीन तलाशनी शुरू कर दी है. इन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में साथ लड़ने को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा है कि वे बंगाल में बीजेपी को पराजित करने में उनकी मदद करेंगे.
बिहार के सीमांचल क्षेत्र में 5 सीटें एआईएमआईएम ने जीती हैं. इस जीत के बाद एआईएमआईएम का आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है. अब इसकी नजर बंगाल पर है. एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी बंगाल में सियासी जमीन तलाशने में जुट गये हैं. एआईएमआईएम की नजर अल्पसंख्यक आबादी वाले मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर पर है. बिहार में एआईएमआईएम के प्रदर्शन से गदगद होकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी अब बंगाल में हाथ आजमा चाह रहे हैं.
असदुद्दीन ओवैसी ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को प्रस्ताव दिया है कि वे साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं, ताकि बीजेपी को हराया जा सके. ओवैसी ने ममता के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन की पेशकश करते हुए कहा कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने में तृणमूल कांग्रेस की मदद करेगी. पश्चिम बंगाल के 23 में से 22 जिलों में एआईएमआईएम ने अपनी पैठ बना ली है और वहां पर तेजी से भावी प्रत्याशियों का चयन किया जा रहा है.
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बंगाल में एआईएमआईएम कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अभी तय नहीं है, लेकिन अल्पसंख्यक वोटों पर उसकी नजर है. इसके सहारे ही वह चुनावी नैया पार करने में लगी है. टीएमसी सांसद सौगता रॉय ने दावा किया था कि एआईएमआईएम को भगवा पार्टी ने टीएमसी का वोट-प्रतिशत कम करने के लिए लगाया है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का लक्ष्य ध्रुवीकरण का है, जबकि पश्चिम बंगाल आजादी के बाद से ध्रुवीकरण और सांप्रदायिकता की राजनीति को नकारता रहा है.
आपको बता दें कि ममता बनर्जी ने हाल ही में एआईएमआईएम पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला बोलते हुए राज्य की जनता से बाहरियों का विरोध करने का आग्रह किया था. बंगाल चुनाव में एआईएमआईएम की एंट्री को टीएमसी खतरे के रूप में देख रही है. विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और टीएमसी के बीच होना लगभग तय है. कांग्रेस और वाम दलों की भी लड़ाई ममता से ही है. इस बीच ओवैसी की पार्टी के बंगाल में उतरतने से नुकसान ममता बनर्जी की पार्टी को ही होगा.
Posted By : Guru Swarup Mishra