Chhath Puja 2020 : धनबाद (सत्या राज) : सदियों से चला आ रहा है लोक आस्था का महापर्व छठ में सूर्योपासना कर अन्न- धन लक्ष्मी, खुशहाल परिवार, घोड़वा चढ़न को बेटा के साथ ही व्रती रूनकी झुनकी बेटी भी छठी मइया से मांगती है. एक और जहां हमारे समाज में कन्या भ्रूण हत्या का ग्राफ बढ़ा है, तो दूसरी और व्रतियों द्वारा रूनकी- झुनकी बेटियों का छठी मइया से मांगा जाना इस बात को सार्थक करता है कि बेटियां अभिशाप नहीं आंगन की खुशबू होती है. उनके चहकने से सारा घर चहकता है. मां बाबुल का आंगन खिलखिलाता है. घर आंगन की रौनक होती हैं बेटियां. प्रभात खबर कुछ छठ व्रतियों की भावनाएं साझा कर रहा है. जिनकी बेटियां हैं वह यह मानती है कि बेटा- बेटी दोनों हमारे अंग हैं. रूनकी- झुनकी बेटी तो आंगन की शोभा होती हैं, उनका आदर कीजिए, सम्मान कीजिए और दीजिए ढेरों ममता दुलार.
धैया की छठव्रती भारती श्रीवास्तव कहती हैं कि पिछले 10 सालों से छठ कर रही हूं. मेरी दो बेटियां है लक्षिता और अलंकृता. लक्षिता एलएलबी की स्टूडेंट है और अलंकृता प्लस टू कर रही है. जब में छोटी थी और छठ गीत में रूनकी- झुनकी बेटी गीत सुनती थी, तो बहुत अच्छा लगता था. आज छठी मइया से अपनी दोनों रूनकी- झुनकी बेटियों के लिए खुशियां मांगती हूं. मां सभी बेटियों पर आशीष बरसायें. मेरी दोनों बेटियों की खुशी में मेरी दुनिया समायी हुई है. सच कहूं तो मेरी सबसे अच्छी दोस्त है ये दोनों. कुछ कहने से पहले ही मेरी बातें समझ लेती हैं. बेटी पाकर मैं तो धन्य हो गयी.
मेरी बेटी निकिता से मेरा आंगना महकता है. मैं पिछले 17 साल से सूर्योपासना कर रही हूं. बेटी बेंगलुरु में पढ़ाई कर रही है. मेरा मानना है बेटा- बेटी में कोई फर्क नहीं है. बस मन से इस भ्रम को मिटाना होगा. मेरी एक ही बेटी है. मैं छठी मइया से यही प्रार्थना करती हूं मेरी बिटिया के साथ सभी रूनकी- झुनकी बेटियां अपनी मंजिल को पायें. छठ मां सबकी मनोकामना पूर्ण करें.
Also Read: Chhath Puja 2020, Jharkhand LIVE : नहाय खाय के साथ 4 दिवसीय महापर्व छठ की हुई शुरुआत, कोरोना संक्रमण से बचाव की हो रही अपीलनूतनडीह की काजल कहती हैं कि मैं अपनी दो बेटियों के लिए छठी मइया से अचरा पसार कर आशीष मांगती हूं. मेरी बड़ी बेटी हर्षिता और छोटी बेटी निकिता दोनों मेरी जान है. छठ ही ऐसा पर्व है जहां घोड़वा चढ़न को बेटा के साथ ही रूनकी- झुनकी बेटी मांगी जाती है. आज फिर से इस संदेश को समाज में फैलाने की जरूरत है. बेटा- बेटी में कोई फर्क नहीं होता है. फर्क हमारे नजरिया और मानसिकता में होता है. मुझे खुशी है कि मैं दो बेटियों की मां हूं. इनकी बातें सच में मुझे बहुत संबल देती है. समझदार इतनी होती हैं कि बिना बताये सारी भावनाएं समझ जाती है. बेटियों को अपनाइए. उनके बचपन को चहकने दीजिए.
झारूडीह की आरती सिंह कहती हैं कि मैं कई सालों से छठ कर रही हूं. बचपन से ही छठ को लेकर मेरी आस्था है. मां को छठ करते देखती थी. रूनकी- झुनकी बेटियों पर मां का स्नेह रहता था. हमारे पारंपरिक गीत में भी छठी मां से बेटियां मांगी जाती रही है. आज जब छठ में बेटी साथ लगी रहती है, तो अपना बचपन याद आता है. बेटियों से घर- आंगन के साथ ही संसार रोशन होता है. मेरी बड़ी बेटी स्वर्णा आनंद सॉफ्टवेयर इंजिनियरिंग की छात्रा है. छोटी बेटी संस्कृति कार्मेल स्कूल में नौंवी की छात्रा है. बेटियों के बिना घर- आंगन सूना लगता है. कब ये बड़ी होकर दोस्त बन जाती है पता ही नहीं चलता. इन दोनों के लिए आशीष, ममता, दुलार.
कोयला नगर की करुणा तिवारी कहती हैं कि जब मैं छोटी थी तभी से रूनकी- झुनकी बेटी गीत सुन रही हूं. बेटियों का मान गीत में सुनकर अच्छा लगता है. छठी मइया से यही मांगती हूं बेटियों के कामयाबी का फलक सदा चमकता रहे. मेरी बड़ी बेटी सुब्रा तिवारी डीएवी में बारहवीं की छात्रा है. छोटी बेटी सुकृति तिवारी आठवीं की छात्रा है. हमारे समाज में करीब- करीब सारे पर्व पति, पुत्र और भाई के दीर्घायु, सलामती के लिए किये जाते हैं. छठ ऐसा पर्व है जहां सुख समृद्धि, अन्न- धन नैहरा व ससुराल की खुशहाली के साथ ही बेटियां भी मांगी जाती है. मेरा मानना है बेटियां जीवन का त्योहार होती हैं. जब भी उसे देखो खुशी मिलती है. जीवन रूपी त्योहार में बेटियां हमेशा चहकती रहें.
Posted By : Samir Ranjan.