राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी के महागठबंधन की सरकार नहीं बनने के लिए कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार बयान पर भागलपुर के विधायक व कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और प्रदेश अध्यक्ष डाॅ मदन मोहन झा ने प्रतिक्रिया व्यक्त की. अजीत शर्मा ने कहा कि शिवानंद तिवारी दलबदलू नेता हैं. वह कितनी बार किस दल में रहे हैं, वो शायद उनको भी याद नहीं होगा. वो जदयू से नेता भी रहे हैं और सांसद भी. इसमें आश्चर्य नहीं कि आज भी उनकी वफादारी जदयू के साथ दिख रही है.
उन्होंने कहा कि बिहार के लोग असल में महागठबंधन की सरकार चाहते हैं. ऐसे समय में सिर्फ जदयू और भाजपा की कमजोर सरकार को मदद करने के लिए और महागठबंधन को कमजोर करने के लिए दलबदलू नेता शिवानंद तिवारी कांग्रेस के ऊपर निराधार आरोप मढ़ रहे हैं. शिवानंद तिवारी से कहना चाहूंगा कि क्या आप बिहार के चुनावी इतिहास से परिचित नहीं कि जब भी राजद ने बिना कांग्रेस पार्टी के चुनाव लड़ा है चाहे वो संसद का चुनाव हो या विधानसभा का तो राजद का क्या हश्र हुआ है.
अजीत शर्मा ने कहा कि इस चुनाव में भी कांग्रेस के हर कार्यकर्ता ने, हर नेता ने महागठबंधन के लिए अपने आप को झोंक दिया. कांग्रेस पार्टी समान विचारधारा वाले दल के साथ रही. शिवानंद भाजपा और जदयू के इशारे पर अनर्गल बयानबाजी करके कांग्रेस और राजद के बीच में फूट डालने की एक सोची समझी साजिश कर रहे हैं. राजद के नेतृत्व को भी शिवानंद तिवारी जैसे को पहचानना होगा. महागठबंधन के सभी नेता उनकी सस्ती राजनीति जनता के सामने एक्सपोज करेंगे. श्री शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आग्रह पर बिहार में समय देकर सारी जनसभाएं की.
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विधानसभा में महागठबंधन की पराजय का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ने को लेकर दिये गये शिवानंद तिवारी के बयान पर कांग्रेस ने पलटवार किया है. प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और प्रदेश अध्यक्ष डाॅ मदन मोहन झा ने कहा है कि कई ऐसी सीटें जिन पर हार का कारण देखा जाये, तो उसके लिए शिवानंद तिवारी जैसे राजद के नेता ही जिम्मेदार पाये जायेंगे. उन्होंने कहा कि राजद के नेतृत्व को भी शिवानंद तिवारी जैसे आस्तीन के सांपों को पहचानना होगा. अगर ऐसा नहीं होता है, तो आने वाले दिनों में सबसे ज्यादा नुकसान आइडियोलॉजिकल कमिटमेंट के साथ मिले हुए दलों को होगा और बिहार की जनता को भी होगा.
उन्होंने कहा कि बार -बार दल बदलने वाले शिवानंद तिवारी अपने बयान से महागठबंधन को कमजोर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिवानंद इतने बड़े दलबदलू नेता हैं कि कितनी बार किस दल में रहे शायद उनको भी याद नहीं होगा. जदयू से नेता भी रहे हैं और सांसद भी. आश्चर्य नहीं कि आज भी उनकी वफादारी जदयू के साथ दिख रही है. महागठबंधन को कमजोर करने के लिए दलबदलू नेता शिवानंद तिवारी कांग्रेस के ऊपर निराधार आरोप मढ़ रहे हैं. कांग्रेस के बिना राजद ने जब भी चुनाव लड़ा है उसका क्या हश्र हुआ. कांग्रेस पार्टी समान विचारधारा वाले दल के साथ रही और महागठबंधन न टूटे इसलिए गठबंधन का धर्म निभाते हुए अपने सहयोगी दलों के हर निर्णय को सहर्ष स्वीकार किया. न चाहते हुए भी सिर्फ गठबंधन के धर्म को निभाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने ऐसी सीटें भी स्वीकार कीं, जो महागठबंधन ने 30-30 सालों से नहीं जीती थीं.
Posted by : Thakur Shaktilochan