अनुज शर्मा, पटना : किसानों को सरकारी लाभ से वंचित करने के बाद भी राज्य में फसल अवशेषों (पुआल) में आग लगाये जाने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. पिछले साल तक पुआल जलाने की समस्या से नौ जिले जूझ रहे थे.
अब 16 जिला इसकी चपेट में आ गये हैं. कोर्ट की फटकार, सरकार की कार्रवाई और जागरूकता के बाद भी समस्या के बढ़ जाने पर सरकार ने 1016 किसानों पर कार्रवाई की दी है. कार्बाइन हार्वेस्टर से फसल की कटाई की इजाजत संयुक्त निदेशक अभियंत्रण सह राज्य नोडल पदाधिकारी कृषि यांत्रिकीकरण से लेनी होगी.
इसके लिए भी किसान को पहले डीएम के यहां से फसल अवशेष नहीं जलाने संबंधी शपथ पत्र देकर एनओसी लेनी होगी. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने 23 जनवरी को आदेश दिया था कि अधिकारी किसानों पर केवल कार्रवाई ही नहीं करें, बल्कि उनको जागरूक करे़ं अवशेष के प्रबंधन के लिए किसानों के व्यावहारिक सुझाव लेकर अमल में लाएं. उपकरणों पर सब्सिडी तक दी गयी.
2019 में पूरे राज्य में 376 घटनाएं हुई थीं. 2020 में दस नवंबर तक 640 मामले सामने आ चुके हैं. 2019 में फसल अवशेष जलाने की औरंगाबाद , भोजपुर,बक्सर, गया, कैमूर, मधुबनी, नालंदा, पटना और रोहतास में कुल 376 घटनाएं हुईं.
बक्सर में सबसे अधिक 101 और कैमूर में 80 मामले सामने आये थे़ मधुबनी (3)और भोजपुर (6)घटनाएं हुईं. 2020 में भोजपुर में 32, कैमुर में 318, भोजपुर मं 32, रोहतास में 133 घटनाएं सामने आ चुकी हैं.
यही नहीं बांका, गोपालगंज, जहानाबाद, नवादा, सहरसा, कटिहार, सारण और अररिया में इस साल किसानों ने पुआल को खेतों में ही जला दिया है. इन आठ जिलों में इससे पहले कोई मामला दर्ज नहीं हुआ था.
Posted by Ashish Jha