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संप्रभुता का सम्मान हो

उम्मीद है कि चीन और पाकिस्तान भारत की संप्रभुता और अखंडता को आदर देते हुए सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने की दिशा में अग्रसर होंगे.

शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक-दूसरे की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करते हुए आगे बढ़ने की आवश्यकता को रेखांकित किया है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अध्यक्षता में हुई इस ऑनलाइन बैठक में अन्य सदस्य देशों के प्रमुखों के साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी शामिल थे. कोरोना महामारी के वैश्विक कहर के लंबे दौर में चीन कई महीने से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आक्रामक व्यवहार से भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण का प्रयास कर रहा है.

उसके साथ और उसकी शह पर पाकिस्तान भी कश्मीर में युद्ध विराम का लगातार उल्लंघन के साथ आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश कर रहा है. इमरान खान द्वारा गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का राज्य घोषित करना, उनके भारत-विरोधी नीतियों का एक हालिया उदाहरण है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर चीन और पाकिस्तान की बेतुकी टिप्पणियां सीधे-सीधे भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ही हैं.

इन मसलों पर तीखी प्रतिक्रिया देने के साथ भारत ने पहले ही यह कह दिया है कि नियंत्रण रेखा की वर्तमान स्थिति में बदलाव की कोई भी एकतरफा कोशिश स्वीकार नहीं की जा सकती है. ऐसे में दोनों देशों के प्रमुखों के सामने प्रधानमंत्री मोदी का संदेश बहुत महत्वपूर्ण है. उल्लेखनीय है कि 2001 में शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद को रोकने के उद्देश्य से की गयी थी तथा बाद में इसमें क्षेत्रीय सहयोग को भी जोड़ दिया गया था. विडंबना ही है कि चीन और पाकिस्तान उन लक्ष्यों से न केवल विचलित हो रहे हैं, बल्कि उनके विरुद्ध व्यवहार कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने सदस्य देशों को मूल उद्देश्यों का स्मरण कराया है.

उन्होंने रेखांकित किया है कि पाकिस्तान इस समूह के नियमों के विपरीत द्विपक्षीय मसलों को उठाता रहता है. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के इसी व्यवहार की वजह से सार्क जैसे अहम मंच की सार्थकता को बहुत नुकसान हुआ है तथा अब उसकी सक्रियता भी बहुत सीमित हो गयी है. उम्मीद है कि चीन और पाकिस्तान उनकी बातों पर गौर करेंगे तथा भारत की संप्रभुता और अखंडता को आदर देते हुए सदस्य देशों के बीच परस्पर सहयोग को बढ़ाने की दिशा में अग्रसर होंगे. दो दशकों की अपनी यात्रा में शंघाई सहयोग संगठन एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समूह के रूप में स्थापित हो चुका है.

चीन और पाकिस्तान के नकारात्मक रवैये से इसके अस्तित्व और औचित्य पर प्रश्नचिह्न लग सकता है. इसी महीने दो अन्य अहम मंचों पर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग की भागीदारी है. दोनों नेता 17 नवंबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में तथा 21 नवंबर को जी-20 देशों के बैठक में वीडियो के जरिये शामिल होंगे. भारत ने विभिन्न देशों के साथ सामरिक और वाणिज्यिक सहयोग बढ़ाने की कोशिशों से चीन को जता दिया है कि बलपूर्वक वर्चस्व स्थापित करने की उसकी रणनीति सफल नहीं हो सकती है.

Posted by: Pritish Sahay

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