अमेरिका के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक कोरोना प्रभावित देश है. भारत में एक दिन में कोविड-19 के 47,905 नये मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 86,83,916 हो गये. वहीं देश में अभी तक 80,66,501 लोग संक्रमण मुक्त भी हो चुके हैं. भारत में कोरोना (Covid-19) का इलाज भी तेजी से किया जा रहा है. लेकिन इसमें उपयोग होने वाली दावा और इलाज के तरीके को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने बड़ी चिंता जतायी है. वैज्ञानिकों ने कोरोना के इलाज में इस्तेमाल हो रही दवाओं को लेकर चेतावनी भी दे डाली है.
शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने सवाल उठाया है कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कोरोना के इलाज के लिए उन दवाओं के उपयोग की अनुमति कैसे दे दी जो बेहद आपातकालीन स्थिति में दी जाती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि दवाओं को किस आधार पर कोरोना के इलाज के लिए मंजूरी दी गई. इसके अलावा आलोचकों का तर्क है कि उनकी प्रभावशीलता पर निर्माताओं का डेटा अब तक असंबद्ध है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तय नहीं है कि भारत में कोरोना मरीजों को दी जाने वाली दवाएं प्रमाणित हैं या नहीं.
नेचर मैगजीन के अनुसार वैज्ञानिकों का दावा है कि भारत में कोरोना के इलाज में जो दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है उसकी प्रमाणिकता की जांच दवा कंपनियां भी नहीं कर पा रही है.
मंगलौर के येनेपोया विश्वविद्यालय के एक सार्वजनिक-स्वास्थ्य शोधकर्ता अनंत भान ने कहा, महामारी में पारदर्शिता और भी महत्वपूर्ण है. यह एक नया वायरस है जहां हमारे पास निश्चित उपचार उपलब्ध नहीं हैं.
भारत में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए Itolizumab दवा का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह दवा सोरिएसिस के इलाज के लिए उपयोग की जाती है. मालूम हो कैलिफोर्निया के इक्वीलियम नामक दवा कंपनी को अमेरिका ने Itolizumab के कोरोना ट्रायल की अनुमति दी थी.
गौरतलब है कि DCGI ने कोरोना के इलाज के लिए तीन दवाओं के उपयोग की अनुमति दी थी. पहली Favipiravir. यह इंफ्लूएंजा की दवा है, जिसे हल्के से मध्यम दर्जे के कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है. इसके अलावा Remdesivir के उपयोग की अनुमति भी दी गई थी. इसके साथ-साथ Itolizumab के उपयोग की अनुमति भी DCGI ने दी.
Posted By – Arbind Kumar Mishra