रांची : राजधानी में पिछले आठ दिनों में न्यूनतम तापमान करीब छह डिग्री सेसि गिरा है. हवा का रुख पहाड़ों से नीचे की ओर आने के कारण तापमान गिर रहा है. 11 नवंबर से आकाश में बादल भी छाया रह सकता है. इसका असर जनजीवन पर भी दिख रहा है. स्वेटर और शॉल दिखने लगने हैं. जाड़े का बाजार भी धीरे-धीरे गर्म होने लगा है. बरसात की समाप्ति और जाड़े की शुरुआत से होनेवाली बीमारियां भी दिखने लगी हैं.
इसे लेकर चिकित्सकों ने सतर्क भी किया है. कोरोना काल में एलर्जी और कोल्ड-कफ जैसी बीमारियों से बचने की विशेष सलाह दी है. मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि अगले एक सप्ताह तक मौसम करीब इसी तरह रहेगा. न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे ही रहेगा. धूप खुला रहेगा, मौसम शुष्क रहेगा.
राज्य के भी जिलों में ठंड ने दस्तक दे दी है. मौसम केंद्र ने कहा कि तीन से चार दिनों में न्यूनतम तापमान तीन से चार डिग्री सेसि तक गिर सकता है. साथ ही 11 नवंबर से आंशिक बादल छाये रहने का अनुमान लगाया है. यह स्थिति 14 नवंबर तक रह सकती है. दीपावली के दौरान बादल छाये रह सकते है.
रांची : बदलते मौसम में हल्की लापरवाही आपको बीमार बना सकती है. हृदय रोग, डायबिटीज, हार्ट व अस्थमा के मरीजों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. रिम्स के फिजिसियन डॉ विद्यापति ने बताया कि ठंड के मौसम को हेल्दी मौसम तो कहा जाता है, लेेकिन इंफ्लूएंजा की बीमारी आम बात है. इस मौसम में दिनचर्या को बदल लेना चाहिए. संतुलित खानपान को अपनायें और गर्म कपड़ों का उपयोग करें.
इस मौसम में त्वचा की समस्या बढ़ जाती है. बच्चे व बुजुर्ग त्वचा की समस्या से पीड़ित होने लगते हैं. बुजुर्ग की त्वचा में पपड़ी के साथ रूखापन आने लगता है. वहीं, खुजली की शिकायत होती है. त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ मिनाली मिढ़ा ने बताया बच्चों पर विशेष ध्यान देना चाहिए. उन्हें ठंडी हवा से बचा कर रखना चाहिए.
ठंडी हवा से अस्थमा के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. सांस की समस्या बढ़ जाती है. सामान्य फ्लू की चपेट में लोग जल्दी आ जाते हैं. रिम्स के छाती रोग विशेषज्ञ डाॅ ब्रजेश मिश्रा ने बताया कि सर्दी में श्वास नली सिकुड़ जाती है. वातावरण में धुआं व धुंध काफी समय तक ठहरा रहता है, जिससे पर्याप्त शुद्ध हवा नहीं मिल पाती है. अस्थमा के मरीज को इनहेलर का उपयोग करना चाहिए. और दवाओं को बंद नहीं करें.
हार्ट व बीपी के मरीजों को विशेष ध्यान देना चाहिए. रक्त की धमनी सिकुड़ जाती है, जिससे हृदय व मस्तिष्क पर दबाव बढ़ने से हार्ट अटैक की समस्या हो जाती है. रिम्स के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रशांत कुमार ने बताया कि ठंड के माैसम में हार्ट के मरीजों को विशेष ध्यान देना चाहिए. ठंड से अपने को बचा कर रखना चाहिए. सुबह व शाम को जल्दी टहलने नहीं निकलें. धूप निकलने के बाद ही टहलने जायें. हार्ट व बीपी की नियमित दवाएं लें. अपने मन से दवाओें को बंद नहीं करें.
बदन को गर्म कपड़ों से ढंक कर रखें
गर्म खाना व पेय पदार्थ का सेवन करें
ताजा खाना खायें और दवा लेते रहें
गुनगुना पानी का इस्तेमाल करें
पर्याप्त मात्रा में मौसमी साग-सब्जी व फल का उपयोग करें
posted by : sameer oraon