पटना : पिछले लगातार दो चुनावों में जदयू के प्रत्याशी को जीत दिलाने वाले धमदाहा विधानसभा क्षेत्र में इस बार 2015 की तुलना में 8.48 फ़ीसदी कम वोट पड़े. 2015 में 65.28 % वोट पड़े थे,जबकि इस बार 56.80 % वोट पड़े. इसके साथ ही साथ ही 2005 के चुनाव को छोड़कर 2000 और 2010 के चुनाव से भी इस बार कम वोटिंग हुई.
ऐसा तब हुआ है जब गुरुवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने धमदाहा में चुनावी भाषण में कहा था कि यह उनका अंतिम चुनाव है, अंत भला तो सब भला. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वक्तव्य को उनके संन्यास लेने से जोड़ा जाने लगा था.
बाद में जदयू ने स्पष्ट किया था कि मुख्यमंत्री के वक्तव्य का मतलब संन्यास लेना नहीं, बल्कि 2020 के विधानसभा चुनाव की आखिरी सभा से थी. हालांकि, इस बार कम वोट पड़ने का मुख्य कारण कोरोना को बताया जा रहा है.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार साल 2000 के विधानसभा चुनाव में कुल 66.59 % वोट पड़े थे. उस बार यहां से समता पार्टी की लेसी सिंह ने समाजवादी पार्टी के दिलीप कुमार यादव को 14021 वोटोंं के अंतर से हराया था.
साल 2005 के चुनाव में 49.29 % वोट पड़े थे. उस चुनाव में राजद के दिलीप कुमार यादव ने जदयू की लेसी सिंह को 3597 वोटों के अंतर से हराया था. साल 2010 के चुनाव में 61.77 फ़ीसदी वोट पड़े थे.
उस साल जदयू की लेशी सिंह ने कांग्रेस के इरशाद अहमद खान को 44697 वोटों के अंतर से हराया था. साल 2015 के चुनाव में 65.28 फ़ीसदी वोट पड़े. उस साल जदयू की लेशी सिंह ने बीएलएसपी के शिव शंकर ठाकुर उर्फ शंकर आजाद को 30291 वोटों के अंतर से हराया था. इस बार के चुनाव में भी धमदाहा से एनडीए की तरफ से जदयू की टिकट पर लेशी सिंह उम्मीदवार हैं.
Posted by Ashish Jha